Wednesday, March 29, 2023

#श्रीरामनवमी2023

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मन्दिर (श्री शिव मन्दिर) 


आपसभी भगतगणो को श्रो रामनवमी पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं महंत/
पुजारी:- श्री पप्पू बाबा(उर्फ श्री राज कुमार पाण्डेय) कॉलेक्ट्रीट घाट पटना बिहार इंडिया 

Ram Navami 2023: कैसे भगवान राम के नाम पर पड़ी रामनवमी? जानें इस बार क्यों है खास

Ram Navami 2023: इस बार चैत्र नवरात्रि की राम नवमी 30 मार्च दिन बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी। क्या आपको मालूम है कि आखिरी नवरात्र का नाम भगवान श्री राम के नाम पर ही क्यों पड़ा है। आइए आज आपको इसके पीछे का रहस्य बताते हैं।


Chaitra navratri 2023: नवरात्रि का समापन राम नवमी के साथ होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि की रामनवमी 30 मार्च दिन बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी। क्या आपको मालूम है कि आखिरी नवरात्र का नाम भगवान श्रीराम के नाम पर ही क्यों पड़ा है। आइए आज आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। साथ ही, जानेंगे कि इस बार रामनवमी का महापर्व खास क्यों रहने वाला है।

ऐसा कहते हैं कि भगवान राम का धरती पर जन्म इसी दिन हुआ था। भक्तों के दुख दूर करने और दुष्टों का अंत करने के लिए श्रीराम त्रेता युग में इसी दिन पैदा हुए थे। वासंतिक नवरात्र के नौवें दिन उनका जन्म हुआ था। श्रीराम मध्य दोपहर में कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में पैदा हुए थे। भगवान राम के जन्म की इस तारीख का जिक्र रामायण और रामचरित मानस जैसे तमाम धर्मग्रंथों में किया गया है। श्री राम स्वयं भगवान विष्णु का सातवां अवतार थे।

भगवान राम और रावण के बीच युद्ध की कहानी भी नवरात्रि से जोड़कर देखी जाती है। ऐसा कहते हैं कि जिस वक्त श्री राम सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए युद्ध लड़ रहे थे। उस समय रावण पर विजय पाने के लिए भगवान श्री राम ने देवी दुर्गा का अनुष्ठान किया था। यह पूजा अनुष्ठान पूरे 9 दिनों तक चला था। जिसके बाद मां दुर्गा ने भगवान श्री राम के सामने प्रकट होकर उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया था। वहीं, दसवें दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर विजय हासिल की थी।

इस बार क्यों खास है राम नवमी?

इस बार नवमी तिथि पर बृहस्पतिवार और पुनर्वसु नक्षत्र दोनों हैं। इसलिए रामनवमी पर श्रीराम के जन्म नक्षत्र का संयोग भी बन गया है। इस संयोग के कारण आपकी पूजा, उपासना विशेष लाभकारी होगी. इस दिन की गई प्रार्थना निश्चित रूप से स्वीकृत होगी। इस शुभ दिन पर आप नए वस्त्र और नए रत्न धारण कर सकते हैं। इस महासंयोग पर आप दान करें तो और भी ज्यादा शुभ होगा।

श्रीराम नवमी पूजा विधि

मध्य दोपहर में भगवान राम की पूजा अर्चना करनी चाहिए। श्री रामचरितमानस का पाठ करें या श्री राम के मंत्रों का जाप करें. जिन महिलाओं को संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही हो। ऐसी महिलाएं भगवान राम के बाल रूप की आराधना जरूर करें। श्री राम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं. गौ, भूमि, वस्त्र आदि का दान करें।

Friday, March 24, 2023

#चैतीछठ

 आप सभी को श्री चैती छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं


प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मन्दिर (श्री शिव मन्दिर) 


आपसभी भगतगणो को चैती छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं महंत/पुजारी:- श्री पप्पू बाबा(उर्फ श्री राज कुमार पाण्डेय) कॉलेक्ट्रीट घाट पटना बिहार इंडिया 


25 मार्च को नहाय खाय के साथ चैती छठ पर्व की शुरुआत होगी। 26 मार्च को खरना पूजा होगी. 27 मार्च को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 28 मार्य को उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर पारण किया जाएगा. जानें सभी का शुभ मूर्हुत...

लोक आस्था का महापर्व चैती छठ की शुरुआत नहाय खाये के साथ 25 मार्च से शुरू हो रहा है। साल भर में 2 बार छठ मनाया जाता है। मार्च या अप्रैल के महीने में चैती छठ और दूसरा कार्तिक मास अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है। देश के कई हिस्सों में इस पर्व को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है।  खासकर बिहार, झारखण्ड, उत्तरप्रदेश में इस लोक आस्था के महापर्व को बड़े ही आस्था के साथ मनाते हैं।

25 मार्च को भरणी नक्षत्र में नहाय-खाय के साथ चैती छठ महापर्व शुरू होगा। उस दिन व्रती गंगा स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवले की चाशनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय इस महापर्व का संकल्प लेंगे। 26 मार्च रविवार को कृत्तिका नक्षत्र और प्रीति योग में व्रती पूरे दिन उपवास कर संध्या काल में खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करेंगे।

 इसी के साथ व्रतियों का 36 घंटे निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा।


सूर्य अर्ध्य अर्पित करने का शुभ मुहूर्त:उन्होंने बताया कि 27 मार्च को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा और 28 मार्य को उदयमान सूर्य को अर्ध्य अर्पित कर पारण किया जाएगा। 27 मार्च को शाम के अर्ध्य के लिए 5.30 बजे व 28 मार्च को सुबह के अर्ध्य के लिए 5.55 बजे का मुहूर्त शुभ है।

चैती छठ सबसे प्राचीनतम छठ पर्व है। इस महीने में होने वाली नवरात्र पूजा भी सबसे प्राचीनतम है। चैती छठ की अपनी महत्वता है। इसे करने से शरीर के सारे कष्ट का निवारण होता है। साथ ही जितनी भी पारिवारिक उलझन है वो दूर होंगे।


Wednesday, March 22, 2023

चैती नवरात्रि

 

प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मन्दिर (श्री शिव मन्दिर)

आपसभी भगतगणो को चैती नवरात्रि
 पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं महंत/पुजारी:- श्री पप्पू बाबा(उर्फ श्री राज कुमार पाण्डेय) कॉलेक्ट्रीट घाट पटना बिहार इंडिया

चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू, जानें दुर्गा पूजा और घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि


Chaitra navratri 2023: चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से वासंतिक या चैत्र नवरात्रि आरंभ हो जाती है. इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से 30 मार्च 2023 तक चलेंगे. दुर्गा पूजा और घट स्थापना (कलश स्थापना) का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, महत्व क्या है? इस बारे में आर्टिकल में जानेंगे.

नवरात्रि का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. सालभर में कुल 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का महत्व काफी ज्यादा होता है. माना जाता है कि नवरात्रि में माता की पूजा-अर्चना करने से देवी दुर्गा की खास कृपा होती है. इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023, बुधवार से शुरू हो रही हैं. मां दुर्गा की सवारी वैसे तो शेर है लेकिन जब वह धरती पर आती हैं तो उनकी सवारी बदल जाती है. इस बार मां दुर्गा नौका यानी नाव पर सवार होकर धरती पर आएंगी. तो आइए चैत्र नवरात्रि घट स्थापना, पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि भी जान लेते हैं.

नवरात्रि शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri Ghatasthapana Muhurat) 

प्रतिपदा तिथि 21 मार्च रात में 11 बजकर 4 मिनट पर लग जाएगी इसलिए 22 मार्च को सूर्योदय के साथ नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होगी. 

इस वर्ष मां का आगमन नौका पर है, जिसे सुख-समृद्धि कारक कहा जाता है. पूरे 9 दिनों के नवरात्र में मां के 9 स्वरूपों की पूजा होगी. उन्होंने नवरात्र के संयोग के बारे में बताया कि चार ग्रहों का परिवर्तन नवरात्र पर देखने को मिलेगा. यह संयोग 110 वर्षों के बाद मिल रहा है. इस बार नव संवत्सर लग रहा है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी की रचना की थी. इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. . चैत्र नवरात्रि घट स्थापना का शुभ मुहूर्त (Chaitra navratri ghatasthapana 2023 Muhurat)

चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से शुरू होकर 30 मार्च तक चलेंगे. घटस्थापना नवरात्रि के दौरान महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है. यह नौ दिनों के उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है. शास्त्रों में नवरात्रि की शुरुआत में एक निश्चित अवधि के दौरान घटस्थापना करने के लिए अच्छी तरह से परिभाषित नियम और दिशानिर्देश हैं. घटस्थापना देवी शक्ति का आवाहन है और इसे गलत समय पर करने से देवी शक्ति का प्रकोप हो सकता है. नवरात्रि में घट या कलश स्थापना को मुहूर्त के मुताबिक करना चाहिए. चैत्र नवरात्रि में घट स्थापना प्रतिपदा तिथि को आती है और इसका मुहूर्त द्वि-स्वभाव मीणा लग्न के दौरान आता है. 

घटस्थापना करने के लिए सबसे शुभ या शुभ समय दिन का पहला एक तिहाई है जबकि प्रतिपदा प्रचलित है. यदि किन्हीं कारणों से यह समय उपलब्ध नहीं है तो अभिजित मुहूर्त में घटस्थापना की जा सकती है. घटस्थापना के दौरान नक्षत्र चित्रा और वैधृति योग से बचने की सलाह दी जाती है लेकिन यह निषिद्ध नहीं है. 

घट स्थापना मुहूर्त शुभ मुहूर्त- 06:23 AM से 07:32 AM तक 
अवधि - 01 घंटा 09 मिनिट 
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ - 21 मार्च 2023 को रात्रि 10:52 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त - 22 मार्च 2023 को रात्रि 08:20 बजे
मीणा लग्न प्रारम्भ - 22 मार्च 2023 को 06:23 पूर्वाह्न
मीणा लग्न समाप्त - 22 मार्च 2023 को 07:32 AM

2023 चैत्र नवरात्रि घट स्थापना की विधि (Chaitra navratri 2023 ghatasthapana vidhi)

कलश को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. देवी दुर्गा की पूजा से पहले कलश की पूजा की जाती है. पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करने से पहले उस जगह को गंगाजल से साफ किया जाता है फिर सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है.  

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर सवेरे-सवेरे जल्दी स्नान करके पूजा और व्रत का संकल्प लें.   इसके बाद पूजा स्थल की सजावट करें और चौकी रखें जहां पर कलश में जल भरकर रखें. फिर कलश पर कलावा लपेटें.  इसके बाद कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते लगाएं. इसके बाद नारियल को लाल चुनरी में लपटेकर कलश पर रख दें. इसके बाद धूप, दीप जलाकर मां दुर्गा का आवाहन करें और शास्त्रों के मुताबिक मां दुर्गा की पूजा-उपासना करें. 

कलश स्थापना के बाद, गणेश जी और मां दुर्गा की आरती करते है जिसके बाद नौ दिनों का व्रत शुरू हो जाता है.

मां दुर्गा के किस स्वरूप की किस दिन होगी पूजा? 

1- नवरात्रि पहला दिन 22 मार्च 2023 दिन बुधवार: मां शैलपुत्री पूजा (घटस्थापना) 
2- नवरात्रि दूसरा दिन 23 मार्च 2023 दिन गुरुवार: मां ब्रह्मचारिणी पूजा 
3- नवरात्रि तीसरा दिन 24 मार्च 2023 दिन शुक्रवार: मां चंद्रघंटा पूजा 
4- नवरात्रि चौथा दिन 25 मार्च 2023 दिन शनिवार: मां कुष्मांडा पूजा 
5- नवरात्रि पांचवां दिन 26 मार्च 2023 दिन रविवार: मां स्कंदमाता पूजा 
6- नवरात्रि छठवां दिन 27 मार्च 2023 दिन सोमवार: मां कात्यायनी पूजा 
7- नवरात्रि सातवं दिन 28 मार्च 2023 दिन मंगलवार: मां कालरात्रि पूजा 
8- नवरात्रि आठवां दिन 29 मार्च 2023 दिन बुधवार: मां महागौरी 
9- नवरात्रि 9वां दिन 30 मार्च 2023 दिन गुरुवार: मां सिद्धिदात्री


Sunday, March 5, 2023

      फाल्गुन पूर्णिमा 2023

Prachin Sri Gauri Shiv Shankar Manokamna Siddh Mandir ( Sri Shiv Mandir) 

 🕉 OM NAMHA Shiv Har Har Har 🕉 Mahadev

Mahant/Pujari:- Sri Pappu Baba ( Sri Raj Kumar Pandey) Collectorate Ghat Patna Bihar India



Falgun Purnima 2023 - फाल्गुन पूर्णिमा जानें तिथि, स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और उपाय

Falgun Purnima 2023: पंचांग के अनुसार फागुन हिंदू वर्ष का अंतिम महीना है। यह महीना फरवरी और मार्च में आता है। फाल्गुन पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व हिंदू धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है। पूर्णिमा व्रत हर महीने मनाया जाता है लेकिन फाल्गुन पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन होलिका दहन भी किया जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन, भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की और होलिका को राख में जला दिया। इस दिन लक्ष्मी जयंती का त्योहार भी मनाया जाता है। वहीं पूर्णिमा तिथि का संबंध चंद्र देवता से माना जाता है। इस दिन जो व्यक्ति व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए जानते हैं तिथि, पूजा मुहूर्त और उपाय…. फाल्गुन पूर्णिमा 2023 तिथि

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ:  06 मार्च, सोमवार, सायं 04:16 मिनट पर
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि समाप्त: 07 मार्च, मंगलवार, सायं 06:08 मिनट पर
उदयातिथि के अनुसार पर फाल्गुन पूर्णिमा का स्नान और दान 07 मार्च को होगा। फाल्गुन पूर्णिमा 2023 स्नान-दान मुहूर्त
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के 3  विशेष मुहूर्त बन रहे हैं।
पहला ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः05:01 मिनट से  प्रातः 05:52 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर12:08 मिनट से दोपहर 12:55 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर,02: 29 मिनट से दोपहर 03:16 मिनट तक  फाल्गुन पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय: 07 मार्च, मंगलवार सायं: 06:18 मिनट पर
चंद्रास्त:  08 मार्च, बुधवार, प्रातः 06: 45 मिनट पर  धार्मिक मान्यता के अनुसार मां लक्ष्मी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही अवतरित हुई थी। इस दिन मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। फाल्गुन पूर्णिमा की रात में चंद्र पूजन करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और साथ ही आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलने की मान्यता है।