Sunday, November 6, 2022

देव दिवाली 7 नवम्बर 2022


प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मंदिर)

आप सभी भगतगणो को देव 🌏दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं   महंत/पुजारी:- श्री पप्पू बाबा (उर्फ श्री राज कुमार पाण्डेय) कॉलेक्ट्रीट घाट पटना बिहार इंडिया PLEASE CONTACT ME


देव दीवाली पर दीपदान का है खास महत्व, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि. हिंदू धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा का खास महत्व है. इस दिन को देव दीवाली के तौर पर भी मनाया जाता है. इस साल देव दीपावली 07 नवंबर को मनाई जाएगी।

 देव दीपावली के दिन दीप दान का खास महत्व है।

Dev Diwali 2022: देव दीवाली पर दीपदान का है खास महत्व, जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि


Dev Diwali 2022 Date: हिंदू धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा का खास महत्व है. इस दिन को देव दीवाली के तौर पर भी मनाया जाता है. इस साल देव दीपावली 07 नवंबर को मनाई जाएगी।

 Dev Diwali 2022 Date: देव दीपावली के दिन दीप दान का खास महत्व है।

 Dev Diwali 2022 Date: कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दीवाली का पर्व मनाया जाता है. यह दीपावली के 15 दिन बाद पड़ता है। इस साल देव दीवाली 7 नवंबर को मनाई जाएगी. बनारस में देव दीवाली का त्योहार खास उत्साह और समर्पण के साथ मनाया जाता है. इस दिन गंगा नदी में दीपदान करने की परंपरा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देव दीवाली, भगवान शिव के त्रिपुरासुर पर विजय प्राप्त करने की खुशी में मनाया जाता है। देव दीवाली को लेकर धार्मिक मान्यता यह भी है कि इस दिन देवता गण पृथ्वी पर आते हैं और काशी में दीवाली मनाते है। इसलिए इसे देव दीवाली कहा जाता है। इस दिन दीपदान का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं देव दीपावली की तिथि, शुभ मुहूर्त और दीपदान का महत्व।



कब है देव दीवाली 2022 | Dev Diwali 2022 date

हिंदू पंचांग के अनुसार देव दीवाली कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 7 नवंबर 2022 को शाम 4 बजकर 15 मिनट से हो रही है. वहीं पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 8 नवंबर को शाम 4 बजकर 31 मिनट पर हो रही है. ऐसे में देव दीपावली 07 नवंबर 2022 को मनाई जाएगी।



 देव दीपावली 2022 शुभ मुहूर्त | Dev Diwali 2022 Shubh Muhurat

प्रदोष काल में दीपदान का मुहूर्त - 05:14 शाम से 07:49 संध्या

पूर्णिमा तिथि आरंभ - नवम्बर 07, 2022 को 04:15 शाम बजे

 पूर्णिमा तिथि समाप्त - नवम्बर 08, 2022 को 04:31 शाम बजे

देव दीवाली पर कैसे करें दीपदान | how to Deep Daan on Dev Diwali

देव दीवाली पर यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान ध्यान से निवृत हो जाएं. इसके बाद सबसे पहले उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करें. फिर तुलसी माता को जल अर्पित करें. इसके बाद भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. देव दीवाली पर शाम के समय प्रदोष काल में 11, 21, 51 या 108 आटे का दीया बनाकर उसमें तेल डालें. इसके बाद सभी देवी-देवताओं और ईष्ट देव का स्मरण करते हुए दीपक पर कुमकुम, हल्दी, अक्षत, और फूल अर्पित करें. इसके बाद दीपक को नदी में विसर्जित करना चाहिए।

दीपदान का क्या है महत्व | Deep Daan Importance



पौराणिक मान्यता है कि देव दीवाली यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी के गंगा घाट पर स्नान करने के लिए पधारते हैं। मान्यता है कि जो कोई इस दिन प्रदोष काल में नदी में दीपदान करता है, उसे शत्रुओं का भय नहीं सताता है। इसके अलावा जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव के निमित्त दीपक जलाने से जीवन में उन्नति होती है. इसके अलावा मान्यता यह भी है कि देव दीवाली पर दीपदान करने से यम, शनि, राहु-केतु के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं और मां लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक जीवन खुशहाल रहता है।

Thursday, November 3, 2022

 Dev Uthani Ekadashi and Tulsi Vivah 2022 Date: 


देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह की तारीखों में कन्फ्यूजन, जानें सही डेट-टाइम

देवउठनी एकादशी के अगले दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है. कहते हैं कि देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं. इस बार देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह की तारीखों को लेकर लोगों में बड़ा कन्फ्यूजन है. 


Dev Uthani Ekadashi and Tulsi Vivah 2022 Date: 

हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है. इसके अगले दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है. कहते हैं कि देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं. इस बार देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह की तारीखों को लेकर लोगों में बड़ा कन्फ्यूजन है. आइए जानते हैं कि इसकी तिथियां क्या हैं.



कब है देवउठनी एकादशी?

देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. इस बार कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि गुरुवार, 03 नवंबर को शाम 07 बजकर 30 मिनट से लेकर शुक्रवार, 04 नवंबर को शाम 06 बजकर 08 मिनट तक रहेगी. ऐसे में देवउठनी एकादशी 04 नवंबर को मनाई जाएगी.

देवउठनी एकादशी का पारण

जो लोग देवउठनी एकादशी के दिन व्रत रखने वाले हैं, वे 05 नवंबर दिन शनिवार को सुबह 06 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक व्रत का पारण कर सकते हैं.

कब है तुलसी विवाह?


तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि शनिवार, 05 नवंबर को शाम 06 बजकर 08 मिनट से आरंभ होगी और रविवार, 06 नवंबर को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर इसका समापन होगा. ऐसे में तुलसी विवाह 05 नवंबर को किया जाएगा.

देवउठनी एकादशी की पूजन विधि



एकादशी के दिन सुबह स्नानादि के बाद व्रत संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और उनके सामने दीप-धूप जलाएं. उन्हें फल, फूल, मिठाई और भोग अर्पित करें. भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है. इसलिए इस दिन उन्हें तुलसी दल जरूर अर्पित करें.

शाम के समय भगवान विष्णु के मंत्रो का जाप करें. इस दिन सात्विक आहार का ही सेवन करें. चावल खाने से बचें और ब्रह्मचर्या का पालन करें.



तुलसी विवाह की पूजन विधि

तुलसी विवाह पर सूर्योदय के समय स्नानादि के बाद घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें. विष्णु जी का गंगाजल से अभिषेक करें. उन्हें तुलसी दल अर्पित करें. तुलसी विवाह के दिन विष्णु के शालीग्राम अवतार का तुलसी के साथ विवाह कराया जाता है. विवाह संपन्न होने के बाद भगवान विष्णु की आरती उतारें और उन्हें भोग लगाएं. इस दिन विष्णु जी को तुलसी का भी भोग लगाया जाता है.

Vat Savitri Vrat 2024

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