Wednesday, January 25, 2023

26 जनवरी बसंत पंचमी 2023

        26 जनबरी बसंत पंचमी पूजा 2023

प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मन्दिर (श्री शिव मन्दिर) 


आपसभी भगतगणो को 
बसंत पंचमी पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं महंत/पुजारी:- श्री पप्पू बाबा(उर्फ श्री राज कुमार पाण्डेय) कॉलेक्ट्रीट घाट पटना बिहार इंडिया

Basant Panchami 2023: कब है बसंत पंचमी, जानें सरस्वती पूजा की तारीख और शुभ मुहूर्त


Basant Panchami 2023: माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा मनाई जाती है। आइए पंचांग के अनुसार जानते हैं बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि, महत्व।

Basant Panchami 2023: बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि मां सरस्वती की पूजा करने से विद्धा, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि इस दिन विद्यार्थी वर्ग पूरे मनोभाव से मां सरस्वती की पूजा करते हैं. साल 2023 में भी बसंत पंचमी माघ शुक्ल पंचमी को ही मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कि बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के लिए शुभ तिथि और मुहूर्त क्या है।  बसंत पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है। पौराणिक धार्मिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के मां सरस्वती का प्राकट्य था। यही वजह है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. पंचांग के अनुसार, इस साल बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा। बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्तमाघ मास की पंचमी तिथि यानी बसंत पंचमी का आरंभ 25 जनवरी को 12 बजकर 35 मिनट से हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 26 जनवरी को 10 बजकर 29 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, बसंत पंचमी 26 जनवरी को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म शास्त्रों में बसंत पंचमी को श्री पंचमी, मधुमास और ज्ञान पंचमी का नाम दिया गया है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन से बसंत ऋतु का आगाज हो जाता है. इसके साथ ही मान्यता यह भी है कि बसंत पंचमी के बाद बाद ठंढ़ समाप्त हो जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन ज्ञान, संगीत की देवी की पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तीव्र होती है। इसके अलावा इस दिन किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत करना भी काफी शुभ माना जाता है। सरस्वती पूजा के दिन विद्या आरंभ करवाना भी शुभ माना जाता है।

कामदेव और देवी रति की पूजा 

बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूरे विधि-विधान से विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा करें। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन कामदेव और देवी रति की पूजा करना शुभ होता है। शास्त्रों में इस दिन का ऐसा विधान भी बताया गया है। मान्यता है कि बसंत पंचमी पर इन दोनों की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां दूर हो जाती है। परिणामस्वरूप वैवाहिक जीवन हमेशा खुशहाल रहता है।

बसंत पंचमी 2023 पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करके माथे पर एक पीला तिलक लगाकर देवी सरस्वती की पूजा करें। ओम् ऐं सरस्वत्यै नमः इस मंत्र का जाप करना उत्तम होता है। ऐसे में पूजा के दौरान ऐसा करें। इसके बाद मां सरस्वती की पूजा में पीले वस्त्र, पीले फूल, पीली मिठाई, हल्दी और पीले रंग का इस्तेमाल करना चाहिए। माता सरस्वती की पूजा के बाद हवन और उनकी आरती करें। पूजन के अंत में प्रसाद वितरित करें. इस दिन मां सरस्वती को पीले रंग की मिठाईयों, फलों का भोग लगाया जाता है।


Saturday, January 14, 2023

मकर संक्रांति 2023

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मन्दिर (श्री शिव मन्दिर) 


आपसभी भगतगणो को मकर संक्रांति पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं महंत/पुजारी:- श्री पप्पू बाबा(उर्फ श्री राज कुमार पाण्डेय) कॉलेक्ट्रीट घाट पटना बिहार इंडिया.  

Makar Sankranti पर अपनी राशि अनुसार दान करें ये चीजें, किस्मत खुल जाएगी 


Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर, पूरे भारत में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी सहित सूर्य देव की पूजा की जाती है।



सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की घटना को ही मकर संक्रान्ति कहा जाता है। यह पर्व पौष मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर, पूरे भारत में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी सहित सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन पूरे भारत में अनेकों रूपों में यह पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को केरल में मकर संक्रांति, असम में माघ बिहू, हिमाचल प्रदेश में माघी साजी, जम्मू में माघी संगरंद या उत्तरायण (उत्तरायण), हरियाणा में सकरत, राजस्थान में सकरत, मध्य भारत में सुकरत, पोंगल तमिलनाडु में, गुजरात में उत्तरायण, और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में घुघुती, बिहार में दही चुरा, ओडिशा में मकर संक्रांति, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल (जिसे पौष संक्रांति या मोकोर सोनक्रांति भी कहा जाता है), उत्तर प्रदेश (जिसे खिचड़ी भी कहा जाता है) संक्रांति), उत्तराखंड (जिसे उत्तरायणी भी कहा जाता है) या आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में संक्रांति और शिशुर सेनक्रथ (कश्मीर) कहा जाता है।  

इस बार मकर संक्रान्ति पर बनें ये शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti 2023 Muhurat) 

 इस वर्ष मकर संक्रांति 14 और 15 जनवरी को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार सूर्य 14 जनवरी 2023 को रात 8 बजकर 21 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। भारतीय शास्त्रों में सूर्योदय को ही किसी तिथि या पर्व का आधार माना जाता है। ऐसे में मकर संक्रांति 15 जनवरी को उदया तिथि होने के कारण मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किया गया दान-पुण्य अनंत गुणा होकर मिलता है। यही कारण है कि इस दिन पूरे देश भर में श्रद्धालु भक्तजन इस दिन जमकर दान-पुण्य करते हैं। आप भी जानिए कि आपकी राशि के अनुसार आपको क्या दान करना चाहिए।

यह भी पढ़ेंः MAKAR SANKRANTI 2023: इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी संक्रान्ति, ये हैं मुहूर्त

अपनी राशि अनुसार ये चीजें दान करें मकर संक्रान्ति पर

मेष: गुड़ की मिठाई, मूंगफली, तिल के साथ गुड़
वृषभ: चावल, दही, सफेद वस्त्र, तिल मीठा
मिथुन: चावल, सफेद और हरा कम्बल, मूंग की दाल
कर्क: चांदी, सफेद तिल या कपूर
कन्या: हरे रंग का कंबल, खिचड़ी (चावल और दाल)
तुला: चीनी, सफेद कपड़ा या खीर या कपूर
वृश्चिक: लाल वस्त्र या तिल
धनु: पीला कपड़ा या सुनहरा लेख
मकर: काला कम्बल, काला तिल या चाय
कुम्भ: खिचड़ी, तिल या राजमा
मीन: रेशमी वस्त्र, चना, मसूर या तिल






Thursday, January 5, 2023

पौष माह की पूर्णिमा 06 जनवरी 2023

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मन्दिर (श्री शिव मन्दिर) 

आपसभी भगतगणो को पौष पूर्णिमा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं महंत/पुजारी:- श्री पप्पू बाबा(उर्फ श्री राज कुमार पाण्डेय) कॉलेक्ट्रीट घाट पटना बिहार इंडिया

हिंदू पंचाग के तिथि में चंद्रमा के अनुसार ही बदलती है। इस दिन धार्मिक मान्यता के अनुसार दान और स्नान का बहुत ही महत्व होता है। यहां जानिए तिथि और समय:--



इस बार पौष माह की पूर्णिमा 06 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रमा का आकार पूरा होता है। पौष के माह को सूर्य का माह भी कहा जाता है। पौष पूर्णिमा के दिन स्नान और दान को महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन की हर बाधा दूर होती है।

हिंदू धर्म में पूर्णिमा को बेहद खास माना जाता है। इस बार की पौष मास की पूर्णिमा 06 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। यह साल 2023 की पहली पूर्णिमा है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्ण आकार में होता है। पौष को भगवान सूर्य का महीना कहा जाता है इसलिए इस महीने में आने वाली पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहते हैं। हिन्दू धर्म में इस पूर्णिमा का काफी महत्व दिया जाता है और इस दिन लोग अलग-अलग रीति-रिवाज़ों से पूजा करते हैं। मान्यता के अनुसार, पौष पूर्णिमा पर विधिवत पूजन से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बतलाया गया है। 

पौष पूर्णिमा का महत्व (Paush Purnima 2023 Importance) 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पौष सूर्य देव का माह कहलाता है। इस मास में सूर्य देव की आराधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। पौष का महीना सूर्य देव का माह है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है। अतः सूर्य और चंद्रमा का यह अद्भूत संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती है।

पौष पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त (Paush Purnima 2023 Shubh Muhurat)

पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 जनवरी 2023 को रात 02 बजकर 16 मिनट पर होगी और इसका समापन 07 जनवरी 2023 को सुबह 04 बजकर 37 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, पौष पूर्णिमा इस बार 06 जनवरी को ही मनाई जाएगी. साथ ही इस बार पौष पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। यह एक अत्यंत शुभ योग माना जाता है और इसमें किए गए सभी कार्य सफल होते हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग 7 जनवरी, 2023 शनिवार को रात 12 बजकर 14 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर होगा। 

पौष पूर्णिमा पूजन विधि (Paush Purnima 2023 Pujan Vidhi)

सुबह स्नान से पहले व्रत करने का संकल्प लिया जाता है। पवित्र नदी में नहाने के बाद भगवान को अर्घ्य दें। सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं। इस दिन कंबल, गुड़, तिल जैसी चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।

Vat Savitri Vrat 2024

प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मन्दिर (श्री शिव मंदिर  महंत/पुजारी:- श्री पप्पू बाबा(उर्फ श्री राज कुमार पाण्डेय) कॉलेक्ट्रीट घाट...