Sunday, July 20, 2025

पवित्र सावन मास के सेकंड सोमवार की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं, भगवान भोलेनाथ हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें... 🙏


पवित्र सावन मास के सेकंड  सोमवार की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं, भगवान भोलेनाथ हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें... 🙏

जय जय शिव शंभू 🙏🏻

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं 🙏🏻

ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव🔱 🚩

#सावन_सोमवार

ॐ नमः शिवाय 🔱🙌

Friday, July 18, 2025

सावन प्रदोष व्रत 2025: सावन का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाता है? जानें तिथि, शुभ योग और उत्सव

सावन प्रदोष व्रत 2025: सावन का पहला प्रदोष व्रत कब मनाया जाता है? तिथि, शुभ योग और उत्सव जानें



सार

सावन प्रदोष व्रत 2025: श्रावण मास का प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। हर माह की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित किया जाता है और इस दिन प्रदोष व्रत रखने की परंपरा है। आइए जानते हैं इस बार सावन का पहला प्रदोष व्रत कौन सा दिन पड़ रहा है। 


सावन प्रदोष व्रत 2025 तिथि:  श्रावण मास का प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। हर माह की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित किया जाता है और इस दिन प्रदोष व्रत रखने की परंपरा है। यह व्रत शिव कृपा प्राप्त करना, पापों से मुक्ति और ग्रहदोष, आर्थिक तंगी और दिवालियापन से मुक्ति प्राप्त करना माना जाता है। इस बार का प्रदोष व्रत 22 जुलाई 2025, मंगलवार को पड़ रहा है, जिसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। सिद्धांत यह है कि मंगलवार को आने वाले व्रत का विशेष फल होता है। जो लोग इस दिन व्रत उपवास शिव की पूजा करते हैं, उन्हें धन-समृद्धि, भूमि-जयदाद और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सावन प्रदोष व्रत की तिथि और समय
द्रोण पंचांग के अनुसार सावन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ 22 जुलाई को सुबह 7:05 बजे से होगी और यह तिथि 23 जुलाई को सुबह 4:39 बजे तक रहेगी। प्रदोष व्रत का पालन 22 जुलाई को ही किया जाएगा।

द्विपुष्कर योग और अन्य शुभ संयोग
22 जुलाई को द्विपुष्कर योग का भी संयोग बन रहा है, जो सुबह 5:37 से 7:05 बजे तक रहेगा। सिद्धांत यह है कि इस योग में किसी भी कार्य या पूजा का दोहरा फल होता है।

मंगला गौरी व्रत का विशेष योग
इस दिन मंगला गौरी का व्रत भी रखा जाता है, जिसमें विशेष रूप से महिलाओं और कुंवारी कन्याओं का पूजन किया जाता है। माँ पार्वती की साज-सज्जा से सर्वथा एकता की प्राप्ति होती है और विवाह योग्य कन्याओं का विवाह होता है।




पूजा का शुभ मुहूर्त
इस दिन की पूजा के लिए प्रदोष काल का समय शाम 7:18 बजे से रात्रि 9:22 बजे तक शुभ रहेगा। साथ ही दिन के अन्य शुभ पुजारी इस प्रकार हैं:
ब्रह्मा : सुबह 4:14 बजे से शाम 4:56 बजे तक
पुजारी:  दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 12:55 बजे तक







 

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