Wednesday, October 13, 2021

 आप सभी भगतगणों को प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर(श्री शिव मन्दिर ) की तरफ से दुर्गा पूजा और महानवमी

की हार्दिक शुभकामनाएँ 

महंत/पुजारी जी:- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय 

कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया


 

Navratri Navami 2021 Puja Vidhi, Muhurat, Timings, Mantra: महानवमी 14 अक्टूबर को, जानिए शुभ मुहूर्त, हवन पूजन विधि, कथा, आरती सबकुछ यहां

Navratri Navami 2021 (Maha Navami) Puja Vidhi, Muhurat, Timings, Mantra, Procedure in Hindi: इस दिन मां दुर्गा की षोडशोपचार पूजा करने के बाद हवन किया जाता है। कई लोग नवमी के दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) भी करते हैं। नवरात्रि की महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है।

 

Navratri Navami 2021 (Maha Navami) Puja Vidhi, Muhurat, Timings, Mantra, Procedure: इस बार शारदीय नवरात्रि की नवमी 14 अक्टूबर को पड़ी है। ये नवरात्रि पूजा का आखिरी दिन होता है। इस दिन मां दुर्गा की षोडशोपचार पूजा करने के बाद हवन किया जाता है। कई लोग नवमी के दिन कन्या पूजन भी करते हैं। नवरात्रि की महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। जानिए महानवमी पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, कन्या पूजन का तरीका सभी जरूरी जानकारी यहां।

नवरात्रि नवमी पूजा मुहूर्त (Mahanavami Puja Muhurat 2021): नवमी तिथि की शुरुआत 13 अक्टूबर को रात 8 बजकर 7 मिनट पर हो जाएगी और इसकी समाप्ति 14 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 52 मिनट पर होगी। पंचांग अनुसार ब्रह्म मुहूर्त 04:42 AM से 05:31 AM तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त 11:44 AM से 12:30 PM तक रहेगा और 14 अक्टूबर को सुबह 9:36 बजे से लेकर पूरे दिन रवि योग भी रहेगा।

पूजा के मुहूर्त:
दिन का चौघड़िया
शुभ: प्रात: 06:27 से 07:53 तक।
लाभ: दोपहर 12:12 से 13:39 तक।
अमृत: दोपहर 13:39 से 15:05 तक।
शुभ (वार वेला): शाम 16:32 से 17:58 तक।
अमृत काल: दिन में 11:00 से 12:35 तक
रात का चौघड़िया :
अमृत: शाम 5 बजकर 58 मिनट से 07:32 तक।
लाभ (काल रात्रि) अर्धरात्रि 00:13 से 01:46 तक।


शुभ: 03:20 से 04:54 तक।
अमृत: 04:54 से 06:27 तक।

 

महानवमी पर ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजानवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद मां सिद्धिदात्री की पूजा शुरू करें। मां को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के फूल-फल आदि चढ़ाएं। फिर धूप-दीप दिखाकर उनकी आरती उतारें। मां के बीज मंत्रों का जाप करें। कहते हैं मां के इस स्वरूप की अराधना करने से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। (यह भी पढ़ेंमहानवमी के दिन इन 4 राशि वालों पर मां अंबे की रहेगी विशेष कृपा, आर्थिक स्थिति हो सकती है मजबूत)

नवरात्रि के नौवे दिन के मंत्र (Navratri Mantra):
- देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
-
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
-
या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:

नवमी कन्या पूजन विधि (Kanya Pujan Vidhi): कन्या पूजन 2 साल से लेकर 10 साल तक की कन्याओं का किया जाता है। ये कन्याएं मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक होती हैं। शुभ मुहूर्त में नवमी पूजा करके कन्या पूजन किया जाना चाहिए। कन्या पूजन में सबसे पहले कन्याओं के पैर धोएं। संभव हो तो उन्हें लाल रंग के वस्त्र भेंट करें। फिर उनके माथे पर कुमकुम लगाएं। हाथ में कलावा बांधें। फिर सभी कन्याओं और एक बालक को भोजन कराएं। ध्यान रखें कि भोजन में हल्वा, पूड़ी और चना जरूर शामिल करें। क्योंकि ये भोजन माता का प्रिय माना जाता है। फिर श्रद्धानुसार भोजन कराकर सभी कन्याओं का पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। अगर नौ कन्याओं का पूजन संभव हो तो आप दो कन्याओं का पूजन भी कर सकते हैं।

महानवमी पर कैसे करें हवन (Navratri Navami Havan Vidhi)?
हवन के लिए जरूरी सामग्रीआम की लकड़ी, गूलर की छाल और पत्ती, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन की लकड़ी, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, अश्वगंधा की जड़, कपूर, लौंग, बहेड़ा का फल और हर्रे तथा घी, शकर, जौ, चावल, ब्राम्ही, मुलैठी की जड़, तिल, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा उपयोगी होता है। हवन के लिए गाय के गोबर से बने छोटे-छोटे उपले घी में डुबोकर डाले जाते हैं।

हवन विधि: माता अंबे की पूजा के बाद हवन की तैयारी करें। हवन सामग्री एकत्रित कर लें। फिर कपूर से आम की सूखी लकड़ियां जला लें। फिर हवन सामग्री की अग्नि में आहुति दें। इस दौरान इन मंत्रों का जाप करते रहें। आग्नेय नम: स्वाहा, गणेशाय नम: स्वाहा, गौरियाय नम: स्वाहा, नवग्रहाय नम: स्वाहा, दुर्गाय नम: स्वाहा, महाकालिकाय नम: स्वाहा, हनुमते नम: स्वाहा, भैरवाय नम: स्वाहा, कुल देवताय नम: स्वाहा, स्थान देवताय नम: स्वाहा, ब्रह्माय नम: स्वाहा, विष्णुवे नम: स्वाहा, शिवाय नम: स्वाहा, जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुति स्वाहा, ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: क्षादी: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शक्रे शनि राहु 

केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: स्वाहा, गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा, त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा, शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।

आखिर में एक गोला यानी सूखा नारियल लें। उसमें कलावा बाधें। अब पान, सुपारी, लौंग, बताशा, जायफल, पूरी, खीर, अन्य प्रसाद, घी नारियल में छेद कर उसके शीर्ष पर स्थापित करें। इसके बाद इसे हवन कुंड के बीच में रख दें। अब बची हुई हवन सामग्री इस मंत्र के साथ एक बार में आहुति दें- ‘ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा’. अंत में मां दुर्गा के समक्ष अपने सामर्थ्य अनुसार कुछ रुपये रखें। फिर माता की आरती उतारें और हवन पूर्ण करें।


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