Thursday, April 13, 2023

#SatuaniSankranti

Happy Satuani Sankranti 2023

 


प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मन्दिर (श्री शिव मन्दिर)


आपसभी भगतगणो को 
सत्तुआनी  महापर्व की  हार्दिक शुभकामनाएं महंत/पुजारी:- श्री पप्पू बाबा(उर्फ श्री राज कुमार पाण्डेय) कॉलेक्ट्रीट घाट पटना बिहार इंडिया 

Satuani Date 2023: कब है सतुआन? जानिए इस दिन क्यों खाते हैं सत्तू?


सतुआन 2023


satuan 2023 date: हर साल बैसाख माह के कृष्ण पक्ष की नवमी के सतुआन का त्यौहार मनाया जाता है। इस पर्व को लोग सत्तू खाकर मनाते हैं। आइए जानते हैं। इस साल कब है सतुआन और क्या है इसका महत्व?

Satuani Sankranti Date 2023 :- सूर्य के मीन से मेष राशि में आने के दिन को मेष संक्रांति (mesh sankranti) के नाम से जाना जाता है। वहीं इसे उत्तर भारत के लोग सत्तू संक्रांति या सतुआ संक्रांति के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान सूर्य उत्तरायण की आधी परिक्रमा पूरी कर लेते हैं। इसके साथ ही खरमास (kharmas) का समापन हो जाता है और सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। मेष संक्रांति को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। इसे उत्तर भारत समेत पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में सतुआन (satuan) के रूप में मनाते हैं और इस दिन अपने इष्ट देव को सत्तू अर्पित करते हैं और इसके बाद खुद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। आइए जानते हैं इस साल कब है सतुआन और क्या है इसे मनाने का महत्व.

मेष संक्रांति के दिन उत्तर और पूर्वी भारत के कई राज्यों में सत्तुआन का त्यौहार मनाया जाता है. इस बार सूर्य का मीन से मेष राशि में गोचर 14 अप्रैल को हो रहा है। ऐसे में मेष संक्रांति 14 अप्रैल को पड़ रही है। इसलिए सत्तुआन का पर्व 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। 

क्यों मनाने हैं सतुआन का पर्व?

सामान्यतः हर वर्ष सतुआन का पर्व 14 या 15 अप्रैल को ही पड़ता है। इस साल यह पर्व 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। बता दें कि इस दिन सूर्य राशि परिवर्तित करते हैं। इसके साथ ही इस दिन से ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो जाता है। सतुआन के दिन सत्तू खाने की परंपरा बहुत लंबे समय से चली आ रही है। इस दिन लोग देवी देवता को मिट्टी के घड़े में पानी, गेहूं, जौ, चना और मक्के का सत्तू साथ में आम का टिकोरा अर्पित करते हैं। इसके बाद इसे खुद प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

सत्तुआनी का महापर्व आज, जानें इसका महत्व और पूजन विधि

सतुआनी के पर्व पर सत्तू, गुड़ और चीनी से पूजा की होती है। इस त्योहर पर दान में सोना और चांदी देने की भी बड़ा महत्व है।वैशाख शुरू होने के साथ ही सत्तुआनी का महापर्व मनाया जाता है। उत्तर भारत में कई जगहों पर इसे मनाने की परंपरा काफी पहले से चली आ रही है। इस दिन लोग अपने पूजा घर में मिट्टी या पीतल के घड़े में आम का पल्लव स्थापित करते हैं। इस दिन दाल से बने सत्तू खाने की परंपरा होती। सत्तुआनी का महापर्व 13 अप्रैल यानी आज मनाया जा रहा है।


सतुआनी के पर्व पर सत्तू, गुड़ और चीनी से पूजा की होती है।  इस त्योहर पर दान में सोना और चांदी देने की भी बड़ा महत्व है। पूजा के बाद लोग सत्तू, आम प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है।

सतूआन के दिन आम के टिकोरे और इमली की चटनी बनाई जाती है। इसेक बाद चने, जौ, गेहूं, मक्का के मिक्स सत्तू को पानी में आटा की तरह गूथ कर सेवन करते हैं। इसके साथ लोग अचार, चोखा और चटनी मिलाकर खाते हैं। इसके अलावा कई लोग सिर्फ चने के सत्तू में नींबू, मिर्च टमाटर, चटनी, नमक इत्यादि मिलाकर सेवन करते हैं।  सत्तू बिहारियों का प्रिय फास्ट फूड होता है।

इसके एक दिन बाद 15 अप्रैल को जूड़ शीतल का त्योहार मनाया जाएगा। 14 अप्रैल को सूर्य मीन राशि छोड़कर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के उपलक्ष्य में यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन पेड़ में बासी जल डालने की भी परंपरा है। जुड़ शीतल का त्योहार बिहार में हर्षोलास के साथ मनाया जाता है।






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