Tuesday, November 12, 2024

Guru Nanak Jayanti 2024 : कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्यों मनाते हैं गुरु नानक जयंती? जानें महत्व

 


Guru Nanak Jayanti 2024 : कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्यों मनाते हैं गुरु नानक जयंती? जानें महत्व



Guru Nanak Jayanti kab hai: गुरु नानक जयंती गुरु नानक देव जी के जन्म का उत्सव है, जो सिख धर्म में समानता, प्रेम और सेवा के प्रतीक हैं. इस दिन लोग कीर्तन, अखंड पाठ और लंगर का आयोजन कर उनके उपदेशों को याद करते हैं और सेवा, परोपकार, और ईश्वर-भक्ति का पालन करने का संकल्प लेते हैं.



Guru Nanak Jayanti 2024 Date: गुरु नानक जयंती सिख समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. यह पर्व हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इसे “गुरुपर्व” या “प्रकाश पर्व” भी कहा जाता है. यह पर्व सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. गुरु नानक देव जी को सिख समुदाय के पहले गुरु के रूप में भी जाना जाता है. यह आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में पड़ता है. सिख समुदाय के लोगों के लिए यह पर्व बहुत खास होता है. इस पर्व को बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन सभी गुरुद्वारों में विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता है. आइए जानते हैं इस वर्ष गुरु नानक जयंती किस दिन मनाई जाएगी.

गुरु नानक जयंती तिथि ( Guru Nanak Jayanti 2024 Date)

हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जयंती का पर्व मनाया जाता है. इस साल कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर 2024 को पड़ रही है. इसलिए इस वर्ष गुरु नानक जयंती का पर्व 15 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा. इस वर्ष गुरु नानक जी की 555 वीं जयंती मनाई जाएगी.

कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्यों मनाई जाती है गुरु नानक जयंती?

कहा जाता है कि गुरु नानक देव जी का जन्म साल 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था, तब से लेकर आज तक हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन उनकी जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है. गुरु नानक जयंती के दो दिन पहले “अखंड पाठ” का आयोजन किया जाता है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब का लगातार 48 घंटे का पाठ किया जाता है. इस पाठ का समापन गुरु नानक जयंती के दिन होता है. गुरु नानक जयंती के दिन सुबह में “नगर कीर्तन” का आयोजन किया जाता है.


नगर कीर्तन में सिख समुदाय के लोग शबद कीर्तन गाते हुए, गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में लेकर एक जुलूस के रूप में चलते हैं.इस दिन गुरुद्वारों में कीर्तन और प्रवचन होते हैं, जहां गुरु नानक देव जी के उपदेशों और शिक्षाओं के बारे में बताया जाता है. इससे सिख समुदाय के लोग उनके संदेशों को याद करते हैं और उनसे प्रेरणा लेते हैं. इस दिन गुरुद्वारों में विशेष लंगर का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी धर्मों और जातियों के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं.

लंगर का उद्देश्य समानता और भाईचारे का संदेश देना है. कुछ स्थानों पर इस अवसर पर दीपक जलाए जाते हैं और गुरुद्वारों को सजाया जाता है. इस दिन लोग सेवा व दान आदि भी करते हैं, जैसे गरीबों को भोजन कराना, कपड़े दान करना, और समाज सेवा से जुड़े कार्य करते हैं.

गुरु नानक जयंती का महत्व

गुरु नानक जयंती का महत्व सिख धर्म के पहले गुरु माने जाने वाले, गुरु नानक देव जी के जीवन और उनके उपदेशों को स्मरण करना है. गुरु नानक देव जी ने हमेशा समानता, प्रेम, सेवा, और ईमानदारी के सिद्धांतों पर जोर दिया. इस दिन लोग जाति और धर्म से परे, सभी के प्रति भाईचारा और सहिष्णुता की भावना को अपनाने का संकल्प लेते हैं. गुरु नानक देव जी ने “नाम जपो, किरत करो, वंड छको” का संदेश दिया, यानी ईश्वर का नाम जपें, ईमानदारी से कार्य करें और जरूरतमंदों के साथ बांटकर खाएं. यह पर्व उनके द्वारा स्थापित निस्वार्थ सेवा और मानवता के प्रति प्रेम की भावना को मनाने और अपने जीवन में उतारने का पावन अवसर होता है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 

Tulsi Vivah Puja Samagri List: तुलसी विवाह की पूजा इन चीजों के बिना है अधूरी, सामग्री लिस्ट देख कर लें तैयारी

 


Tulsi Vivah Puja Samagri List: तुलसी विवाह की पूजा इन चीजों के बिना है अधूरी, सामग्री लिस्ट देख कर लें तैयारी



Tulsi Vivah 2024 Puja Vidhi: तुलसी विवाह एक पवित्र हिंदू त्योहार है, जिसमें तुलसी के पौधे का विवाह भगवान शालिग्राम से कराया जाता है. इस पूजा को संपन्न करने के लिए कुछ आवश्यक सामग्रियों की आवश्यकता होती है. आइए जानते हैं वो कौन- कौन सी चीजें हैं जिनका बिना तुलसी विवाह अधूरा माना जाता है.


तुलसी विवाह 2024 तिथि | Tulsi Vivah 2024 Date

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की द्वादशी तिथि की शुरुआत दिन मंगलवार 12 नवंबर की शाम 4 बजकर 2 मिनट पर होगी. वहीं, द्वादशी तिथि का समापन 13 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 13 नवंबर की शाम को तुलसी विवाह मनाया मनाया जाएगा.

तुलसी विवाह पूजा सामग्री | Tulsi Vivah Puja Samagri List

  • पूजा में तुलसी का पौधा सबसे महत्वपूर्ण है, जो भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है.
  • घी के तेल का दीपक जलाना चाहिए, जो पूजा की रोशनी और सकारात्मक ऊर्जा को दर्शाता है.
  • गंगाजल का प्रयोग विशेष रूप से शुद्धि के लिए किया जाता है.
  • चंदन का लेप पूजा स्थल पर करना शुभ होता है.
  • तिलक करने के लिए कुमकुम और रोली का प्रयोग करें.
  • तुलसी, गुलाब, और अन्य शुभ फूलों का प्रयोग किया जाता है.
  • तुलसी की पत्तियां भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह में प्रमुख रूप से चढ़ाई जाती हैं.
  • पूजा में केले, सेब, नारियल आदि फल चढ़ाए जाते हैं.
  • सुपारी, लौंग, इलायची इनका पूजा में खास महत्व है.
  • तुलसी विवाह में सिंदूर का उपयोग भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह के प्रतीक रूप में किया जाता है.
  • तुलसी माता को लाल चुनरी, सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, आलता जैसे सुहाग का सामान अर्पित किया जाता है.
  • कलश में जल भरकर रखा जाता है और इसे पूजा के दौरान इस्तेमाल किया जाता है.

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त | Tulsi Vivah shubh muhurat

13 नवंबर की शाम 5:29 बजे से लेकर शाम 7:53 बजे तक रहेगा. इस दौरान आप तुलसी विवाह कर सकते हैं और पूजा कर सकते हैं.

तुलसी विवाह पूजा विधि | Tulsi Vivah 2024 Puja Vidhi

सुबह स्नान करने के बाद सबसे पहले, तुलसी के पौधे की अच्छे से सफाई करें. तुलसी के पास दीपक जलाएं और पूजा स्थान को साफ करें. भगवान विष्णु और तुलसी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. शंख, घंटी और दीपक बजाकर वातावरण को शुद्ध करें. चंदन, कुमकुम और फूलों से भगवान की पूजा करें. फिर तुलसी की पत्तियों को भगवान शालिग्राम के सामने रखें और उन्हें चढ़ाएं. आखिर में, लाल चुनरी, सिंदूर, बिंदी, चूड़ी जैसे सुहाग के सामान, नारियल, फल, मिठाई और अन्य सामग्री तुलसी मां को अर्पित करें और उनसे आशीर्वाद की कामना करें.

Tulsi Vivah Ka Mahatva | तुलसी विवाह का महत्व

तुलसी विवाह का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह के रूप में मनाया जाता है. तुलसी विवाह का महत्व विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने से जुड़ा हुआ है. यह पूजा विशेष रूप से महिलाओं के लिए लाभकारी मानी जाती है, क्योंकि यह उनके वैवाहिक जीवन मे खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है. साथ ही तुलसी विवाह के माध्यम से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने की भी परंपरा है. भगवान विष्णु के प्रति भक्ति और श्रद्धा से जीवन में हर प्रकार की परेशानी और कष्ट दूर होते हैं. तुलसी विवाह में मां तुलसी और भगवान विष्णु के विग्रह रूप को शालिग्राम की पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में आशीर्वाद और समृद्धि का वास होता है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 

Vaikuntha Chaturdashi 2024 Deepdaan: वैकुंठ चतुर्दशी के दिन इस विधि से करें दीपदान, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद!

 


Vaikuntha Chaturdashi 2024 Deepdaan: वैकुंठ चतुर्दशी के दिन इस विधि से करें दीपदान, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद!




Vaikuntha Chaturdashi Deepdaan Niyam हिन्दू धर्म में वैकुंठ चतुर्दशी एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस दिन दीपदान करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन किए गए दीपदान से पितरों को मुक्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही घर परिवार के लोगों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.


Vaikuntha Chaturdashi 2024 Deepdaan Vidhi: हिन्दू धर्म में वैकुंठ चतुर्दशी का बहुत अधिक महत्व है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा की जाती है और साथ ही पितरों को शांति दिलाने के लिए दीपदान किया जाता है. इस दिन दीपदान करने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है. इस दिन दीपदान करने से लोगों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर खुशहाली बनी रहती है. ऐसी मान्यता है कि दीपदान के माध्यम से पितरों का तर्पण करने से लोगों को सभी दुखों से मिलता है और इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 14 नवंबर 2024 को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगी. वहीं चतुर्दशी तिथि का समापन 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर होगा. इस दिन निशिता काल में पूजा करने का विधान है. इसलिए वैकुंठ चतुर्दशी का पूजन 14 नवंबर को ही किया जाएगा.

वैकुंठ चतुर्दशी पूजा शुभ मुहूर्त | Vaikuntha Chaturdashi shubh Muhurat

वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने के लिए निशिता काल की अवधि रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगी. ऐसे में भक्तों को पूजा करने के लिए कुल 53 मिनट का समय मिलेगा.

दीपदान करने की विधि | Deepdaan Karne Ki Vidhi

  • वैकुंठ चतुर्दशी के दिन सबसे पहले एक बर्तन में शुद्ध जल भरें.
  • फिर कच्चे घी का दीपक जलाएं
  • दीपक जलाते समय ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें.
  • किसी नदी, तालाब या जल के अन्य स्रोत में दीपक प्रवाहित करें.
  • दीपदान करते समय अपने पितरों को याद करें और उन्हें समर्पित करें.
  • तिल के तेल से तर्पण करें.
  • किसी गरीब या जरूरतमंद को दान दें.

दीपदान के नियम | Deepdaan Ke Niyam

  • शुद्ध मन: दीपदान करते समय मन को शुद्ध रखें.
  • विधि-विधान: दीपदान की विधि का पालन करें.
  • श्रद्धा: श्रद्धा के साथ दीपदान करें.
  • सात्विक भोजन: दीपदान के दिन सात्विक भोजन करें.
  • निंदा-चर्चा से बचें: दीपदान के दिन किसी की निंदा या चर्चा न करें.

वैकुंठ चतुर्दशी का महत्व | Vaikuntha Chaturdashi Ka Mahatva

वैकुंठ चतुर्दशी का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है. इस दिन दीपदान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. ऐसी मान्यता है कि वैकुंठ चतुर्दशी भगवान विष्णु और भोलेनाथ की एक साथ विधि-विधान से पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इसके साथ ही जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 

भगवान की मूर्ति से फूलों का गिरना शुभ या अशुभ, जानें किस बात का है संकेत

 


भगवान की मूर्ति से फूलों का गिरना शुभ या अशुभ, जानें किस बात का है संकेत



हिन्दू धर्म में लोग भगवान को माला या फूल चढ़ाते हैं और वह अचानक नीचे गिर जाते हैं. उस वक्त हमारे मन में कई तरह की शंकाएं आती हैं. कुछ लोग इसे शुभ संकेत बताते हैं तो कुछ इसे इस बात का संकेत मानते हैं कि कुछ बुरा होने वाला है.


Flower and Garland Importance: हिन्दू धर्म में सभी घरों में सुबह-सुबह भगवान की पूजा की जाती है. भगवान की पूजा में उपयोग की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण सामग्रियों में से एक है फूल. कोई भी पूजा फूलों के बिना अधूरी मानी जाती है. जब भी लोग किसी मंदिर में जाते हैं या घर पर पूजा करते हैं तो भगवान को फूल या माला चढ़ाते हैं, लेकिन अगर वह फूल या माला गिर जाए तो लोगों को पता नहीं चलता कि क्या संकेत हैं.

जब लोग किसी मंदिर में जाते हैं, तो सम्मान और भक्ति के प्रतीक के रूप में देवी-देवताओं को फूल और मालाएं चढ़ाते हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि लोग भगवान को माला या फूल चढ़ाते हैं और वह अचानक गिर जाते हैं. उस वक्त हमारे मन में कई तरह की शंकाएं आती हैं. कुछ लोग इसे शुभ संकेत बताते हैं तो कुछ इसे इस बात का संकेत मानते हैं कि कुछ बुरा होने वाला है लेकिन कोई भी यह जानने की कोशिश नहीं करता कि इसका असल मतलब क्या है.

अवसर या खतरे का संकेत

कुछ लोगों का मानना है कि किसी देवता को चढ़ाई गई फूल की माला या मंदिर में जाने के बाद फूल का गिरना आने वाली परेशानी का संकेत हो सकता है जो आपके जीवन में बदलाव और निर्णय की आवश्यकता पर जोर देता है. ताकि आप अपने फैसले पर दोबारा विचार कर सकें और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें.

समय और स्थान का प्रभाव

ऐसा माना जाता है अगर भगवान को चढ़ाने के बाद फूल की माला या फूल गिर जाता है तो यह हमारे स्थान या समय का परिणाम हो सकता है. उदाहरण के लिए, इसका मतलब यह हो सकता है कि आपने गलत समय पर पूजा की, या आपने गलत स्थान पर बैठकर फूल या मालाएं चढ़ाईं हैं. कुछ लोग मानते हैं कि भगवान को चढ़ाया गया फूल या माला का गिरना अशुभ संकेत होता है. यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपकी पूजा स्वीकार नहीं हुई है या आपकी मनोकामना पूरी नहीं होगी.

भगवान का संदेश

शास्त्रों के मुताबिक, किसी देवता पर चढ़ाए गए फूलों की माला या अचानक गिरता हुआ फूल इस बात का संकेत हो सकता है कि देवता मौजूद हैं और आपकी भक्ति देख रहे हैं. इस कारण यह दैवीय घटना शुभ भी मानी जाती है. ऐसे में आपको अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव करने चाहिए जो आध्यात्मिक विकास के लिए जरूरी हो सकते हैं.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 

Paran Niyam: देव उठनी एकादशी व्रत का इस विधि से करें पारण, जानें शुभ मुहूर्त और सही नियम

 


Dev Uthani Ekadashi 2024 Paran Niyam: देव उठनी एकादशी व्रत का इस विधि से करें पारण, जानें शुभ मुहूर्त और सही नियम



Prabodhini Ekadashi 2024 Rules: देव उठनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं. इस व्रत को तोड़ने की विधि को पारण कहते हैं. पारण को सही विधि से करने से व्रत का पूरा फल मिलता है. बिना पारण के कोई भी व्रत पूरा नहीं माना जाता है.


Dev Uthani Ekadashi 2024 Paran Vidhi: हिन्दू धर्म में देव उठनी एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है. ये एकादशी हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं, इसलिए इसे ‘प्रबोधिनी एकादशी’ भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन शुभ कार्य करने का शुभ मुहूर्त माना जाता है. यह व्रत धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. जो लोग इस देव उठनी एकादशी का व्रत रखा है उन्हें इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि बिना पारण के व्रत अधूरा माना जाता है.

पंचांग के अनुसार, देवउठनी एकादशी व्रत का पारण एकादशी तिथि के अगले दिन द्वादशी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद करना शुभ माना जाता है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 12 नवंबर को है.इस दिन सुबह 06 बजकर 42 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट के बीच व्रत का पारण करना सही रहेगा.

पारण करने की विधि | Paran Ki Vidhi

  • देव उठनी एकादशी व्रत का पारण करने से पहले शुद्ध जल से स्नान करें.
  • सूर्योदय के समय भगवान सूर्यदेव को जल से अर्घ्य दें.
  • फिर भगवान विष्णु की पूजा करें, तुलसी के पत्ते चढ़ाएं और दीपक जलाएं.
  • ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें.
  • पारण के लिए सात्विक भोजन तैयार करें और इसमें खीर, फल, और शुद्ध घी शामिल करें.
  • भगवान विष्णु को भोग लगाकर प्रणाम करके प्रसाद लोगों को बांटें
  • भगवान विष्णु को लगाएं भोग का प्रसाद स्वयं ग्रहण कर पारण करें.
  • पारण करने के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें.
  • पारण करने से ही व्रत का पूरा फल मिलता है.

पारण के नियम : Paran Ke Niyam

  • शुद्ध भोजन: पारण के लिए शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करें और खाने में लहसुन, प्याज आदिन मिलाएं.
  • सात्विक भाव: पारण के समय अपने मन को शुद्ध और पवित्र रखें.
  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें: पारण के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें.
  • पानी पीना: पारण से पहले पानी पीना वर्जित है.
  • निंदा-चर्चा से बचें: पारण के दिन किसी की निंदा या चर्चा न करें.
  • शुभ कार्यों का प्रारंभ: इस दिन शुभ कार्य करने का शुभ मुहूर्त माना जाता है.

देव उठनी एकादशी का महत्व : Dev Uthani Ekadashi Importance

देव उठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं. इस एकादशी का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व है. यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को धार्मिक, शारीरिक और मानसिक रूप से लाभ होता है. इस व्रत को करने से लोगों को अंजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खुलता है. साथ ही इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहती है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 

Tulsi Vivah Vidhi: घर पर कैसे कराएं शालिग्राम भगवान और मां तुलसी का विवाह? ये है पूरी विधि

 


Tulsi Vivah Vidhi: घर पर कैसे कराएं शालिग्राम भगवान और मां तुलसी का विवाह? ये है पूरी विधि



Tulsi Vivah Pujan तुलसी विवाह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन भगवान शालिग्राम (भगवान विष्णु का एक रूप) और माता तुलसी का विवाह संपन्न कराया जाता है. तुलसी विवाह घर पर भी किया जा सकता है.



Tulsi Vivah 2024 Puja Vidhi: हिंदू धर्म में कार्तिक माह की द्वादशी तिथि को हर साल भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह का आयोजन धूमधाम से किया जाता है. तुुलसी विवाह का आयोजन कुछ लोग कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को कराते हैं तो कोई द्वादशी के दिन. जो लोग देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराते हैं वो इस साल 12 नवंबर को तुलसी विवाह करेंगे और जो लोग द्वादशी के दिन तुलसी विवाह करेंगे वो 13 नवंबर को. तुलसी विवाह के दौरान तुलसी के पौधे का विवाह शालिग्राम भगवान के साथ कराया जाता है. मान्यता है कि तुलसी विवाह कराने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में खुशहाली बनी रहती है. इसके अलावा पति-पत्नी के झगड़े भी खत्म हो जाता है.

Tulsi Vivah 2024 Date And Time : तुलसी विवाह 2024 तिथि व समय

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 12 नवम्बर दिन मंगलवार को शाम 04 बजकर 04 मिनट पर होगी और 13 नवंबर दिन बुधवार को दोपहर 01 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे उदया तिथि के अनुसार, मां तुलसी और शालिग्राम भगवान का विवाह का औयोजन 13 नवंबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा, लेकिन देव उठनी एकादशी के हिसाब से कुछ लोग 12 नवंबर को तुलसी विवाह का आयोजन संपन्न करेंगे.

Tulsi Vivah Ki Samagri : तुलसी विवाह की सामग्री

तुलसी का पौधा, भगवान विष्णु की मूर्ति या शालीग्राम जी की फोटो, लाल रंग का वस्त्र, कलश, पूजा की चौकी, सुगाह की सामग्री (जैसे -बिछुए, सिंदूर, बिंदी, चुनरी, सिंदूर, मेहंदी आदि), फल और सब्जी में मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, मूली, सीताफल, अमरुद, केले के पत्ते, हल्दी की गांठ, नारियल, कपूर, धूप, चंदन आदि.

Tulsi Vivah Puja Vidhi : तुलसी विवाह पूजा विधि

हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह के मौके पर तुलसी के पौधे का विवाह भगवान विष्णु जी की मूर्ति या शालिग्राम पत्थर से करवाया जाता है. तुलसी विवाह कराने के लिए शाम का समय शुभ माना जाता है. इस दिन परिवार के सभी लोगों को तुलसी विवाह में शामिल होने के लिए नये कपड़े पहनने चाहिये. विवाह कराने से पहले तुलसी के गमले पर गन्ने का मंडप बनाया जाता है उसे अच्छे से सजाया जाता है. फिर तुलसी पर लाल चुनरी और सुहाग की सामग्री चढ़ाई जाती है. इसके बाद गमले में शालिग्राम जी के पास रखकर विवाह की रस्में शुरु की जाती हैं.

तुलसी माता के विवाह के दौरान शादी के सभी नियमों का पालन किया जाता है. शालिग्राम और तुलसी को सात फेरे अवश्य कराएं और विवाह के मंत्रों का उच्चारण करें. इस बात का ध्यान रखें कि शालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ाए जाते हैं. इसलिए तिल चढ़ाकर विवाह पूरा करवाना शुभ माना जाता है. विवाह की सारी रस्में पूरी करने के बाद सभी में प्रसाद बांट दिया जाता है.

Tulsi Vivah Ka Mahatva : तुलसी विवाह का महत्व

हिंदू धर्म में तुलसी को पवित्र पौधा माना जाता है. इसे देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है. भगवान विष्णु को भी तुलसी बहुत प्रिय है. इसलिए, तुलसी और शालिग्राम का विवाह एक पवित्र अनुष्ठान माना जाता है. मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और पापों का नाश होता है. तुलसी विवाह आध्यात्मिक विकास में भी मदद करता है. तुलसी की पूजा करने से मन शांत होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 



Dev Uthani ekadashi Vrat Katha: देवउठनी एकादशी के दिन जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, मनचाही इच्छा होगी पूरी!

 


Dev Uthani ekadashi Vrat Katha: देवउठनी एकादशी के दिन जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, मनचाही इच्छा होगी पूरी!

Dev uthani ekadashi ki katha: हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत रखा जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. देवउठनी एकादशी का व्रत आज यानी 12 नवंबर 2024 को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी व्रत करने से जीवन की तमाम परेशानियों से छुटकारा मिलता है. इस कथा का पाठ किए बिना देवउठनी एकादशी का व्रत अधूरा माना जाता है.




Dev prabodhini Ekadashi vrat katha in Hindi: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, एक साल में 24 बार एकादशी का व्रत रखा जाता है. हर महीने में दो बार एकादशी तिथि पड़ती है, जो जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होती है. मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से मन और इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त होता है. हर एकादशी का एक अलग नाम होता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. सभी एकादशी में देवउठनी एकादशी को सबसे खास महत्व माना जाता है. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने के निद्रा योग से जागते हैं. श्रीहरि विष्णु जी के योग निद्रा से जागने पर चातुर्मास समाप्त हो जाता है और सभी मांगलिक कार्य एक बार फिर से शुरू हो जाते हैं.

देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. चातुर्मास समाप्त होने के बाद शादी, विवाह, मुंडन, नामकरण जैसे सभी शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. देवठनी एकादशी से श्रीहरि फिर से सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं. धार्मिक मान्यता है कि देवउठनी एकादशी पर व्रत रखने से सभी पापों का नाश और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.

आज यानी 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जा रहा है. देवउठनी एकादशी की पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. कहा जाता है कि व्रत कथा पढ़ने से देवउठनी एकादशी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. ऐसी मान्यता है कि इस कथा का पाठ करने से पूजा सफल होती है और श्रीहरि विष्णु प्रसन्न होते हैं. ऐसे में आइए पढ़ते हैं देवउठनी एकादशी की व्रत कथा हिंदी में.

देवउठनी एकादशी व्रत कथा हिंदी (Dev uthani Ekadashi vrat katha sunaiye)

देवउठनी एकादशी (dev prabodhini Ekadashi vrat katha) से जुड़ी एक पौराणिक कथा मिलती है. इस कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक नगर में एक राजा रहता था. उस राज्य के सभी लोद विधिवत एकादशी का व्रत रखते थे और पूजा करते थे. एकादशी के दिन किसी भी जानवर, पक्षी या पशु को अन्न नहीं दिया जाता था. उस नगर के राजा के दरबार में एक बाहरी व्यक्ति एक नौकरी पाने के लिए आया. तब राजा ने कहा कि काम तो मिलेगा लेकिन हर महीने दो दिन एकादशी व्रत पर अन्न नहीं मिलेगा.

नौकरी मिलने की खुशी पर उस व्यक्ति ने राजा की शर्त मान ली. उसे अगले महीने एकादशी के व्रत पर अन्न नहीं दिया गया. व्रत में उसे केवल फलाहार दिया गया था लेकिव उसकी भूख नहीं मिटी जिससे वह व्यक्ति चिंतित हो गया. वह राजा के दरबार में पहुंचा और उन्हें बताया कि फल खाने से उसका पेट नहीं भरेगा. वह अन्न के बिना मर जाएगा. उसने राजा से अन्न के लिए प्रार्थना की.

इस पर राजा ने कहा कि आपको पहले ही बताया गया था कि एकादशी को अन्न नहीं मिलेगा. लेकिन उस व्यक्ति ने फिर से अन्न पाने की विनती की. उसकी हालत को समझते हुए राजा ने उसे भोजन देने का आदेश दिया. उसे दाल, चावल और आटा दिया गया था. फिर उस व्यक्ति नदी के किनारे स्नान करके भोजन बनाया. जब भोजन बन गया, तो उसने भगवान विष्णु को आमंत्रण देते हुए कहा कि श्रीहरि भोजन तैयार है, आइए आप सबसे पहले इसे खाइए.

आमंत्रण पाकर भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए. उसने अपने देवताओं के लिए भोजन निकाला और वे खाने लगे. फिर उस व्यक्ति ने भी भोजन किया और अपने काम पर चला गया. इसके बाद भगवान विष्णु भी वैकुंठ लौट आए. अगली एकादशी पर उसने राजा से दोगुना अन्न की मांग की. उसने बताया कि पिछली बार वह भूखा था क्योंकि उसके साथ भगवान ने भी भोजन किया था.

उस व्यक्ति की यह बात सुनकर राजा आश्चर्यचकित हो गया. राजा ने कहा कि हमें विश्वास नहीं है कि भगवान ने भी आपके साथ खाना खाया है. राजा की इस बात पर व्यक्ति ने कहा कि आप स्वयं जाकर देख सकते हैं कि क्या यह सच है. फिर एकादशी के दिन उसे दोगुना अन्न दिया गया था. वह अन्न लेकर नदी के किनारे गया. उस दिन राजा भी एक पेड़ के पीछे छिपकर सब कुछ देख रहा था.

उस व्यक्ति ने पहले नदी में स्नान किया. फिर भोजन बनाया और भगवान विष्णु से कहा कि खाना तैयार है और आप इसे खा लें, लेकिन विष्णु जी नहीं आए. उस व्यक्ति ने श्रीहरि को कई बार बुलाया लेकिन वे नहीं आए. तब उसने कहा कि अगर आप नहीं आएंगे तो मैं नदी में कूदकर अपनी जान दे दूंगा. फिर भी श्रीहरि नहीं आए. तब वह नदी में छलांग लगाने के लिए आगे बढ़ा. तभी भगवान विष्णु प्रकट हुए और उसे कूदने से बचा लिया.

इसके बाद श्रीहरि विष्णु उसके साथ भोजन किया. फिर उसे अपने साथ वैकुंठ लेकर चले गए. यह देखकर राजा हैरान हो गया. अब राजा को समझ आ गया कि एकादशी व्रत को पवित्र मन और शुद्ध आचरण से करते हैं, तभी पूरा व्रत का लाभ मिलता है. उस दिन से राजा ने भी पवित्र मन से एकादशी व्रत किया और भगवान विष्णु पूजा की. जीवन के अंत में राजा के सभी पाप मिट गए और उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई.

देवउठनी एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त (Dev uthani ekadashi shubh muhurat)

  1. कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि शुरू – 11 नवंबर शाम 6:46 बजे से.
  2. कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त – 12 नवंबर शाम 4:04 बजे पर.
  3. देवउठनी एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त – 12 नवंबर 6:42 बजे से सुबह 7:52 बजे तक.
  4. देवउठनी एकादशी व्रत पारण समय (Dev uthani ekadashi vrat parana time) – 13 नवंबर सुबह 6:42 बजे से 8:51 बजे तक

देवउठनी एकादशी करने से क्या फल मिलता है? (Dev uthani ekadashi vrat benefits)

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह के शयनकाल से जागते हैं, इसलिए इस एकादशी का खास महत्व माना जाता है. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी उपासना करनी चाहिए. ऐसा करने से आपके घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है. मान्यता है कि देवउठनी एकादशी का व्रत रखने वालों पर विष्णु जी की विशेष कृपा रहती है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 


Sunday, November 3, 2024

Bhai Dooj Aarti 2024: भैया दूज पर जरूर पढ़ें यमुना माता की आरती, भाई-बहन में बना रहेगा प्यार!

 


Bhai Dooj Aarti 2024: भैया दूज पर जरूर पढ़ें यमुना माता की आरती, भाई-बहन में बना रहेगा प्यार!

Bhai dooj Aarti: भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, भाई दूज पर्व की शुरुआत यम देवता और उनकी बहन मां यमुना से हुई थी. इस दिन यम देवता अपनी बहन यमुना के घर गए थे. तब माता यमुना ने यमदेवता का स्वागत कर उन्हें भोजन कराया था.


Bhai Dooj 2024 Puja Aarti in Hindi: हिंदू पंचांग में भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा के बाद आरती जरूर पढ़नी चाहिए. ऐसा करने से मां यमुना प्रसन्न होती हैं.

भाई दूज 2024 पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2024 Tilak Shubh Muhurat)

भाई दूज के दिन तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त की शुरुआत दोपहर 1 बजकर 19 मिनट से लेकर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. भाई दूज के दिन तिलक लगाने के लिए कुल 2 घंटे 12 मिनट तक का समय मिलेगा.

यमुना जी की आरती (Yamuna Ji Ki Aarti)

ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता,

जो नहावे फल पावे सुख सुख की दाता

ॐ पावन श्रीयमुना जल शीतल अगम बहै धारा,

जो जन शरण से कर दिया निस्तारा

ॐ जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे,

यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे

ॐ कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही,

तुम्हारा बड़ा महातम चारों वेद कही

ॐ आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो,

नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो

ॐ नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी,

मन ‘बेचैन’ भय है तुम बिन वैतरणी

ॐ ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता.

भाई दूज का महत्व (Bhai Dooj Significance)

भाई दूज के दिन भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बहने अपने भाई को तिलक लगाकर और नारियल देकर सभी देवी-देवताओं से भाई की सुख-समृद्धि और दिर्घायु की कामना करती है. उसके बाद भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करते हैं.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 

Bhai Dooj Vrat Katha: भाई दूज पर भाई की लंबी उम्र के लिए बहनें जरूर पढ़ें ये व्रत कथा!

 


Bhai Dooj Vrat Katha: भाई दूज पर भाई की लंबी उम्र के लिए बहनें जरूर पढ़ें ये व्रत कथा!

bhai dooj 2024: : भाई दूज का त्योहार भाई और बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं. इस पर्व से जुड़ी एक अद्भुत कथा है जो भाई-बहन के प्यार और त्याग को दर्शाती है.


bhai dooj katha: भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और भी मजबूत बनाने के लिए मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं और विशेष पूजा-अर्चना करती हैं.भाई दूज पर विशेष रूप से एक व्रत कथा पढ़ने का महत्व है, जिससे भाइयों की रक्षा और लंबी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए, जानते हैं भाई दूज की व्रत कथा के बारे में

यमुना जी को अपने भाई यम से बड़ा लगाव था. वे अपने भाई यम से बार बार निवेदन करती रहती थी कि वे अपने इष्ट मित्रों के साथ उनके घर आकर भोजन करें, लेकिन अपने काम में अधिक व्यस्त होने के कारण यमराज जी बहन यमुना की बात को टालते रहते थे. एक बार कार्तिक शुक्ल पक्ष का दिन था. यमुना जी ने अपने भाई को भोजन के लिए अपने घर आने का निमंत्रण दिया. इस बार यमुना जी ने भाई यम से वचन ले लिया था कि वे उनके घर आकर भोजन करेंगे.

यमराज ने सोचा कि मैं तो मृत्यु का देवता और प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. लेकिन बहन ने जिस सद्भावना और प्रेम से मुझे बुलाया है, उसका पालन करना अब मेरा धर्म है. बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. भाई यम को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. यमुना ने स्नान कर पूजा करके तरह तरह के व्यंजन परोसकर भाई यम को भोजन कराया. यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्होंने बहन यमुना से वर मांगने को कहा.

तब यमुना ने अपने भाई यम से कहा कि भैया, मैं आपसे ये वरदान मांगना चाहती हूं कि मेरे जल में स्नान करने वाले नर-नारी कभी भी आपकी नगरी यमपुरी में न जाएं. यमराज जी के लिए बहन को ये वरदान देना बड़ा कठिन था, क्योंकि इस वरदान को देने से यमराज की यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता और पृथ्वी पर अत्याचार फैलने लगता. भाई को दुविधा में पड़ा देखकर यमुना जी बोली- आप चिंता न करें, आप मुझे यह वरदान दें कि जो भी भाई हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि के दिन बहन के घर आकर भोजन किया करें, और इस मथुरा नगरी स्थित विश्राम घाट पर बहन के साथ स्नान करें वह तुम्हारे लोक न जाएं.

तब यमराज जी ने तथास्तु कहकर बहन को वरदान दिया और कहा कि इस तिथि को जो भी भाई अपनी बहन के घर भोजन नहीं करेंगे उन्हें मैं बांधकर यमपुरी को ले जाऊंगा और तुम्हारे जल में स्नान करने वाले भाई बहन को स्वर्ग की प्राप्ति होगी. बहन यमुना को ऐसा वरदान देकर और अनेक अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमराज जी ने अपनी नगरी यमपुरी की ओर प्रस्थान किया. मान्यता है कि तभी से भाई-बहन के पावन रिश्ते का त्योहार, भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 

मां अन्नपूर्णा की कृपा के लिए करें ये काम, कभी खाली नहीं होंगे अन्न के भंडार

     हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ 🙏🕉️🙏🌍  प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर )   महंत जी :- श्री पप्पू बाबा ...