Monday, October 28, 2024

Dhanteras shubh muhurat 2024: धनतेरस के दिन खरीदने जा रहे हैं नई गाड़ी? नोट कर लें वाहन लेने का शुभ मुहूर्त

  

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर(श्री शिव मन्दिर ) 


 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया

Dhanteras shubh muhurat 2024: धनतेरस के दिन खरीदने जा रहे हैं नई गाड़ी? नोट कर लें वाहन लेने का शुभ मुहूर्त


Dhanteras 2024 shubh muhurat: धनतेरस के दिन कुछ न कुछ खरीदने की परंपरा है. इस दिन विशेष रूप से सोना, चांदी और वाहनों की खरीदारी का विशेष महत्व है. अगर आप इस दिन वाहन खरीदने जा रहे हैं तो आपको बताते हैं कि धनतेरस के दिन गाड़ी लेने का शुभ मुहूर्त कब है 2024 में?


Dhanteras Car Purchasing Shubh Muhurat 2024: पांच दिन के दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है. दिवाली का त्योहार हर साल खुशियों और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मानाया जाता है. इस दौरान लोग अपने घरों में समृद्धि लाने के लिए सोना, चांदी, वाहन और बाकी कीमती चीजें खरीदते हैं. धनतेरस का दिन खरीदारी के लिए बेहद महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई चीजों से आर्थिक लाभ और घर में सुख-समृद्धि आती है.

धनतेरस के दिन घर में किसी भी चीज को लाना साल भर की खुशियों के आगमन के समान माना जाता है. धनतेरस के दिन नई चीजें खरीदकर लाने से 13 गुना फल ज्यादा मिलता है. अगर आप धनतेरस के दिन नया वाहन खरीदने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं कि धनतेरस के दिन वाहन खरीदने का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा.

धनतेरस पर वाहन खरीदारी का शुभ मुहूर्त

अगर आप इस धनतेरस या दिवाली पर गाड़ी खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो यहां कुछ खास शुभ मुहूर्त दिए गए हैं जो आपकी खरीदारी को और भी ज्यादा फलदायी बना सकते हैं. धनतेरस के दिन वाहन खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा, जो कि अगले दिन यानी 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगा. वाहन खरीदने के लिए ये समय सबसे सही रहेगा.

धनतेरस पर वाहन खरीदने के शुभ मुहूर्त 2024

धनतेरस का दिन पूरा दिन ही खरीदारी करने के लिए शुभ माना जाता है, लेकिन कुछ ऐसे विशेष मुहूर्त भी होते हैं जब वाहन या बाकी कीमती चीजें खरीदना काफी लाभकारी माना जाता है.

लाभ (समृद्धि): सुबह 10:41 से दोपहर 12:05 बजे तक अमृत (सर्वश्रेष्ठ समय): दोपहर 12:05 से 1:28 बजे तक लाभ (समृद्धि): शाम 7:15 से रात 8:51 बजे तक

31 अक्टूबर 2024 को वाहन खरीदने के शुभ मुहूर्त

अगर आप धनतेरस के बाद वाहन खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो 31 अक्टूबर को भी कुछ खास शुभ समय मिल रहे हैं:-

शुभ (सर्वश्रेष्ठ समय): शाम 4:13 से 5:36 बजे तक अमृत (सर्वश्रेष्ठ समय): शाम 5:36 से 7:14 बजे तक चर (सामान्य समय): रात 7:14 से 8:51 बजे तक

1 नवंबर 2024 खरीदारी के शुभ मुहूर्त

धनतेरस और दिवाली के बाद 1 नवंबर को भी कुछ खास शुभ मुहूर्त मिल रहे हैं जिनमें आप खरीदारी कर सकते हैं:-

सुबह के शुभ समय (चर, लाभ, अमृत):- सुबह 6:33 से 10:42 बजे तक दोपहर का शुभ समय (चर):- दोपहर 12:04 से 1:27 बजे तक दोपहर का शुभ समय (शुभ):- शाम 4:13 से 5:36 बजे तक

इन शुभ समयों का ध्यान रखकर आप अपनी शॉपिंग को और भी खास बना सकते हैं, जिससे आपके घर में समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 


Dhanteras 2024 Shopping Time: धनतेरस के दिन इस शुभ मुहूर्त में करें खरीदारी और पूजा, पूरे साल होगा धन लाभ!

 


 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर(श्री शिव मन्दिर ) 


 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया

Dhanteras 2024 Shopping Time: धनतेरस के दिन इस शुभ मुहूर्त में करें खरीदारी और पूजा, पूरे साल होगा धन लाभ!



Dhanteras 2024 Shopping Shubh Muhurat: धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है. इस दिन खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं इस दिन खरीदारी करने से लेकर पूजा तक का शुभ मुहूर्त क्या है.


Dhanteras 2024 Shopping Time and Shubh Muhurat: दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है. हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाएगा. इस दिन भगवान धनवंतरी और कुबेर देव की पूजा करने से व्यक्ति को सुख- सौभग्य मिलता है. मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी के साथ वाहन और घर के लिए फ्रीज, टीवी आदि खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है.

धनतेरस 2024 तिथि (Dhanteras 2024 Date)

प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर(श्री शिव मन्दिर ) 

 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया  के अनुसार, बार त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर होगी. वहीं त्रयोदशी तिथि का समापन 31 अक्टूबर दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. उदयातिथि के अनुसार धनतेरस शास्त्रोक्त रूप से 30 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी. हालांकि इसका आरंभ 29 अक्टूबर को ही हो जाएगा. इस प्रकार धनतेरस दोनों ही दिन मनाई जा सकेगी. दोनों दिन त्रिपुष्कर योग का प्रभाव बना रहेगा.

धनतेरस पूजा का मुहूर्त (Dhanteras 2024 Puja Shubh Muhurat)

प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर(श्री शिव मन्दिर ) 

 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया  के अनुसार, धनतेरस के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 31 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. इस दिन पूजा करने के लिए भक्तों को कुल 1 घंटे 41 मिनट का समय मिलेगा.

धनतेरस 2024 खरीदारी का शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2024 Shopping Shubh Muhurat)

29 अक्टूबर को गोधूलि काल शाम 6 बजकर 31 मिनट से आरंभ होकर और रात्रि 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. धनतेरस के दिन खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस बार धनतेरस के दिन खरीदारी करने के लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं.

पहला शुभ मुहूर्त

धनतेरस के दिन खरीदारी करने के लिए पहला शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से लेकर 12 बजक 27 मिनट तक रहेगा.

दूसरा शुभ मुहूर्त

धनतेरस के दिन खरीदारी करने का दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 30 से लेकर 4 बजे 3 तक रहेगा.

तीसरा शुभ मुहूर्त

वहीं खरीदारी करने के लिए तीसरा मुहूर्त शाम 7 बजकर 13 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.

30 अक्टूबर को खरीदारी को मुहूर्त

30 अक्टूबर को सुबह लगभग 07ः51 से 10ः01 बजे तक वृश्चिक लग्न में खरीदी की जा सकती है. उसके बाद कुंभ लग्न में दोपहर लगभग 02ः00 से 03ः30 बजे तक खरीदारी करना शुभ रहेगा. अन्य शुभ मुहूर्त प्रदोष काल के समय का है. यह संध्याकाल में लगभग साढ़े छह बजे से करीब साढ़े आठ तक रहेगा. 30 अक्टूबर को धनतेरस पर भद्रा की व्याप्ति दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से रात्रि 2 बजकर 33 मिनट तक रहेगी. हालांकि इस बार भद्रा पाताल लोक व्यापिनी होने के कारण धनतेरस के लिए पूर्णतः असरहीन रहेगी.

धनतेरस को खरीदें ये चीजें

धनतेरस के दिन सोना, चांदी, कांसा, पीतल या तांबा से बनी खरीदना बहुत ही शुभ होता है. इसके अलाव धनतेरस के दिन धनिया, झाड़ू खरीदना भी बहुत शुभ होता है. धातु के बर्तन जरुर खरीदें, क्योंकि इस दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि कलश में अमृत लेकर निकले थे, इसलिए इस दिन धातु के बर्तन खरीदते हैं.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍



 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 

Bhai Dooj History: कैसे हुई भैया दूज मनाने की शुरुआत? समझें इसका महत्व

  

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर(श्री शिव मन्दिर ) 


 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया

Bhai Dooj History: कैसे हुई भैया दूज मनाने की शुरुआत? समझें इसका महत्व



Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai: दिवाली के बाद भैया दूजा का त्योहार मनाया जाता है. यह भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के बीच प्यार के बंधन का प्रतीक है. इस दिन बहने अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है और उनकी समृद्धि और दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं. आइए जानते हैं कि कैसे हुई भैया दूज मनाने की शुरुआत.


Bhai Dooj Story in Hindi : दिवाली के बाद भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है. रक्षाबंधन की तरह भैया दूज भी बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है. यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है. जिसमें साल का पहला भैया दूज चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं. इस त्योहार को देशभर में भाई फोटा, भाऊ बीज, भाई बिज, भाऊ बीज, भ्रातृ द्वितीय, यम द्वितीया, भतृ दित्य, भाई तिहार और भाई टिक्का के नाम से भी जाना जाता है. हर साल यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है.

कब है भैया दूज (Bhai Dooj 2024 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाई दूज की तिथि का आरंभ 2 नवंबर शाम 8 बजकर 21 मिनट पर होगा और तिथि का समापन 3 नवंबर रात 10 बजकर 5 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, भाई दूज का पर्व रविवार 3 नवंबर को मनाया जाएगा.

भाई दूज 2024 पर तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2024 Tilak Shubh Muhurat)

भाई दूज के दिन तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त की शुरुआत दोपहर 1 बजकर 19 मिनट से लेकर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. भाई दूज के दिन तिलक लगाने के लिए कुल 2 घंटे 12 मिनट तक का समय मिलेगा.

कैसे हुई भैय दूज की शुरुआत (Bhai Dooj Ki Shuruaat Kaise Hui?)

पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की दो संताना थी एक यमराज और दूसरी यमुना. यमराज अपनी बहन यमुना को बहुत प्रेम करते थे. यमुना अपने भाई से बार-बार अपने घर आने को कहती थी. एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को उन्होंने अपने भाई से घर पर आने का वचन ले लिया. भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए. तब यमुना ने अपने भाई यमराज का भव्य स्वागत किया. इसके बाद यमराज को तिलक लगाकर भोजन कराया. यमुना का अपने भाई के प्रति इतना प्रेम और आदर देख यमराज प्रसन्न हुए और यमुना से वरदान मागनें को कहा. जिसके बाद वरदान में यमुना ने अपने भाई से कहा कि हर साल आप इस दिन मेरे घर आना. इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा शुरु हुई.

भाई दूज का महत्व (Bhai Dooj Significance)

भाई दूज के दिन भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बहने अपने भाई को तिलक लगाकर और नारियल देकर सभी देवी-देवताओं से भाई की सुख-समृद्धि और दिर्घायु की कामना करती है. उसके बाद भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करते हैं.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍


 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 


Dev Diwali 2024 date: देव दीपावली कौन-सी तारीख को है, इस दिन देवता क्यों मनाते हैं दिवाली?

  

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर(श्री शिव मन्दिर ) 


 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया

Dev Diwali 2024 date: देव दीपावली कौन-सी तारीख को है, इस दिन देवता क्यों मनाते हैं दिवाली?



Dev Deepawali kab hai 2024: दिवाली के लगभग 15 दिन बाद देव दीपावली मनाई जाती है. देव दीपावली के लिए भी घरों को दीपकों से रोशन कर उत्सव मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता दिवाली मनाते हैं. आइए जानते हैं कि देव दीपावली 2024 में कब है.



Dev Deepawali 2024 mein kab hai: दीपों का पर्व दिवाली प्रकाश का त्योहार है. हिंदू धर्म दिवाली के अलावा देव दीपावली भी मनाई जाती है. दिवाली और देव दीपावली दोनों भारत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण पर्व में से हैं. कुछ ही दिनों में पांच दिनों के दीपोत्सव की शुरुआत होने वाली है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है. वहीं, हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन देव दीपावाली मनाई जाती है.

दीपों का त्योहार दिवाली इस बार 31 अक्टूबर को पड़ रहा है. दिवली के बाद एक और प्रकाश का पर्व मनाया जाता है, जिसे देव दीपावली कहते हैं. देव दीपावली, दिवली के 15 दिन बाद मनाई जाती है. इस दिन को रोशनी का त्योहार माना जाता है. आइए जानते हैं कि इस साल देव दीपावली किस तारीख को है.

देव दीपावली क्यों मनाई गई? (Dev Deepawali kyu manate hai)

कार्तिक पूर्णिमा को देवता दीपावली मनाते हैं इसलिए इस विशेष दिवाली को देव दीपावाली कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामस राक्षस का वध किया था, जिसके बाद सभी देवताओं ने स्वर्गलोक में दीप जलाए थे. ऐसी मान्यता है कि त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवताओं ने स्वर्गलोक में दिवाली मनाई थी. तब से ही इस दिन देव दीपावली मनाने की शुरुआत हुई थी.

देव दीपावली कब है 2024 में? (Dev Deepawali 2024 Varanasi)

इस साल देव दीपावली 15 नवंबर को है. हिंदू पंचांग के अनुसार,कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को दोपहर 12 बजे से शुरू होगी और 16 नवंबर को शाम 05 बजकर 10 मिनट पर समाप्त हो जाएगी.

ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस साल देव दीपावली 15 नवंबर को मनाई जाएगी. देव दीपावली हमेशा दिवाली के 15 दिनों बाद मनाई जाती है. साथ ही, कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही कई जगहों पर तुलसी विवाह उत्सव भी मनाया जाता है. इसमें तुलसी जी का विवाह शालिग्राम भगवान से कराया जाता है.

देव दीपावली के दिन क्या किया जाता है?

देव दीपावली को देवताओं की दिवाली कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सभी देवता धरती पर रूप बदलकर आते हैं और दिवाली मनाते हैं, इसलिए इस दिन देवताओं के लिए दीये जलाने की परंपरा है. वाराणसी में देव दीपावली का विशेष महत्व है.

देव दीपावली के दिन वाराणसी में हर साल गंगा के तट पर लाखों दीपक जलाए जाते हैं. देव दिवाली पर पूरे वाराणसी यानी प्राचीन काशी में अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. इस दिन लोग मुख्य रूप से जलाशयों के पास दीपक जलाते हैं.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍


 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 


Dhanteras 2024: धनतेरस पर कैसे शुरू हुई थी सोना-चांदी खरीदने की परंपरा? जानें इसकी कहानी और महत्व

  

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर(श्री शिव मन्दिर ) 


 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया

Dhanteras 2024: धनतेरस पर कैसे शुरू हुई थी सोना-चांदी खरीदने की परंपरा? जानें इसकी कहानी और महत्व



Dhanteras 2024 kab hai: दिवली का पर्व पूरे 5 दिनों तक मनाया जाता है. इस पांच दिन के दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस के साथ होती है और भाई दूज पर ये पर्व समाप्त हो जाता है. धनतेरस के दिन खरीदारी करने की परंपरा है. आइए जानते हैं कि धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने की परंपरा कब से शुरू हुई.


Dhanteras par sona kyu kharidte hain: दीपों का पर्व दीपावली… दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है और ये 5 दिनों का पर्व भाई दूज पर समात्प हो जाता है. धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है. इस दिन भगवान धन्वंतरि के साथ मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा करने का विधान है. धनतेरस के दिन लोग सोना-चांदी और कई नई चीजें खरीदकर घर लाते हैं. आइए जानते हैं धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई.

हिंदू धर्म में धनतेरस का पर्व विशेष महत्व रखता है. इस दिन को धन और स्वास्थ्य के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. धनतेरस का संबंध भगवान धन्वंतरि से है, जो समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. आइए आपको धनतेरस का धार्मिक महत्व बताते हैं.

धनतेरस पर सोना-चांदी क्यों खरीदते हैं?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे. भगवान धन्वंतरि को देवताओं का चिकित्सक माना जाता है. जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए, तो उनके हाथ में एक अमृत कलश था. तब से हर साल धनतेरस के मौके पर चांदी के लक्ष्मी, गणेश, बर्तन और आभूषण खरीदे जाते हैं. इसके साथ ही, धनतेरस के दिन सोना खरीदना भी शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि धन्वंतरि भगवान को पीतल की धातु पसंद है, इसलिए इस दिन पीतल से बनी चीजों की भी खरीदारी की जाती है.

धनतेरस 2024 शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2024 shubh muhurat)

धनतेरस के मौके पर खरीदारी के लिए पूरा ही दिन शुभ माना जाता है. इस दिन, 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 से 30 अक्टूबर को दोपहर 1:15 तक खरीदारी का शुभ मुहूर्त है. जो लोग चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार धनतेरस पर खरीदारी करने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए मुहूर्त नीचे दिए गए हैं-

  • चर (सामान्य) सुबह 09:18 बजे से सुबह 10:41 तक
  • लाभ (उन्नति) सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:05 तक
  • अमृत (सर्वोत्तम) दोपहर 12:05 बजे से दोपहर 01:28 तक
  • लाभ (उन्नति) रात 07:15 बजे से रात 08:51 तक

धनतेरस पर खरीदारी का शुभ समय (Dhanteras best shopping time)

धनतेरस पर खरीदारी का सबसे समय धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है, जो खरीदारी के लिए सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है. ये योग 29 अक्टूबर सुबह 6:31 बजे से शुरू होकर अगले दिन 30 अक्टूबर 10:31 बजे तक रहेगा. इस योग में की गई खरीदारी से वस्तुओं में तीन गुना वृद्धि होती है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 

Dhanteras Puja Samagri List: इन चीजों के बिना अधूरी है धनतेरस की पूजा, नोट कर लें पूजा सामग्री की लिस्ट

  

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर(श्री शिव मन्दिर ) 


 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया

Dhanteras Puja Samagri List: इन चीजों के बिना अधूरी है धनतेरस की पूजा, नोट कर लें पूजा सामग्री की लिस्ट



Dhanteras puja samagri: धनतेरस का पर्व दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है. इसे धन्वंतरि त्रयोदशी भी कहा जाता है. धनतेरस का दिन सोना-चांदी के आभूषणों और बर्तनों की खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है. चलिए आपको बताते हैं धनतेरस की पूजा में क्या-क्या सामान लगता है.


Dhanteras Puja samagri in hindi: हिंदू धर्म में धनतेरस का पर्व बेहद खास माना जाता है. वजह है इस दिन की जाने वाली खरीदारी. धनतेरस के दिन पुष्य नक्षत्र में खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है. पांच दिन के दीपोत्सव के लिए सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. इस महापर्व की शुरुआत धनतेरस के साथ होती है. इस साल 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा. धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धन्वंतरि की पूजा करने का विधान है. धनतेरस के पूजा के दौरान कुछ चीजों को शामिल करना बेहद जरूरी है, अन्यथा धनतेरस की पूजा अधूरी मानी जाती है.

धनतेरस के दिन सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू, धनिये के बीज, लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति खरीदना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन मुख्य रूप से मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और धन्वंतरि भगवान की पूजा होती है. ऐसा कहते हैं इस दिन खरीदी गई चीजों में 13 गुना बरकत होती है. अगर आप धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने वाले हैं, तो चलिए आपको बताते हैं धनतेरस की पूजा में क्या क्या सामान लगता है.

धनेतरस पूजा में क्या-क्या सामना चाहिए?

  • मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देव की प्रतिमा या तस्वीर
  • इस दिन पूजा के लिए लक्ष्मी गणेश की अलग-अलग प्रतिमा लेनी चाहिए (लक्ष्मी-गणेश बैठे हुए हों)
  • पूजा के लिए लकड़ी की चौकी
  • लाल या पीले रंग का कपड़ा
  • गंगाजल
  • दीपक
  • रूई
  • पूजा की ताल
  • पूजा के लिए कलश
  • मौली
  • रोली
  • अक्षत
  • गाय का घी
  • शक्कर या गुढ़
  • धूप
  • कपूर
  • अगरबत्ती
  • पुष्प

धनतेरस पूजा करने का मुहूर्त कब है?

धनतरेस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है. इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी. इस त्रयोदशी तिथि का समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर होगा.

  1. धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त:- 29 अक्टूबर शाम 6:31 मिनट से लेकर रात 8:13 मिनट तक.
  2. धनतेरस प्रदोष काल:- 29 अक्टूबर शाम 5:38 मिनट से लेकर 8:13 मिनट तक.

धनतेरस क्यों मनाया जाता है? (Dhanteras Parv Kyu Manaya Jata Hai)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा है. लोक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन कीमती चीजें खरीदने से उसमें 13 गुना ज्यादा बरकत होती है, इसलिए ही धनतेरस पर सोना-चांदी की खरीदारी की जाती है. इस अवसर पर धनिया के बीज खरीदना भी बेहद शुभ होता है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍




 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 


Pradosh Vrat 2024 Mantra: प्रदोष व्रत के दिन इन 5 मंत्रों का करें जाप, परेशानियों से मिलेगी मुक्ति!

  

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर(श्री शिव मन्दिर ) 

 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया

Pradosh Vrat 2024 Mantra: प्रदोष व्रत के दिन इन 5 मंत्रों का करें जाप, परेशानियों से मिलेगी मुक्ति!

Pradosh Vrat Puja: प्रदोष व्रत के दिन इन मंत्रों का जाप करने से लोगों को जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है और भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से सभी मुश्किल काम भी आसान हो जाते हैं. इसके साथ ही घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.


Pradosh Vrat Mantra Vidhi: हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत है. यह हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन शिवजी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है. इस बार कार्तिक माह का पहला भौम प्रदोष व्रत है, इस दिन धनतेरस भी है. ऐसे में प्रदोष काल में मां लक्ष्मी संग शिव पूजा फलदायी होगी. इस दिन सूर्यास्त के बाद दही, घी, दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें. मान्यता है इस उपाय से व्यापार-नौकरी में धन की कभी कमी नहीं होती है. प्रमोशन की संभावनाएं बढ़ती हैं. प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान भगवान शिव के कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से घर में खुशियों का आगमन होता है और पूजा सफल होने के साथ विवाह की बाधाएं दूर होती हैं.

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर दिन मंगलवार को सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 30 अक्टूबर दिन बुधवार को दोपहर में 1 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी. शिव पूजा का शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर 2024 को शाम 5 बजकर 38 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा.

प्रदोष व्रत शुभ संयोग

कार्तिक माह के भौम प्रदोष व्रत पर 3 शुभ संयोग बन रहे हैं. भौम प्रदोष में पुष्कर योग सुबह 6 बजकर 31 मिनट से सुबह 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. इंद्र योग सुबह 7 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. व्रत के दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र सुबह से शाम 6 बजकर 34 मिनट तक है. उसके बाद से हस्त नक्षत्र है, जो पूरी रात है.

प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
  • किसी साफ स्थान पर शिवलिंग और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें.
  • प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर दूध, दही, शहद आदि से अभिषेक करें.
  • प्रदोष काल में शिवलिंग के सामने बैठकर दीपक जलाएं और धूप-दीप करें.
  • शुद्ध मन से इन मंत्रों का 108 बार या अपनी इच्छानुसार जाप करें.
  • शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं और शिव पुराण का पाठ करें.
  • प्रदोष काल में व्रत का पारण करें और अन्य ग्रहण करें.
  • इन मंत्रों के जाप के साथ-साथ आपको अपने कर्मों में भी सुधार करना चाहिए.

इन मंत्रों का करें जाप

  1. ॐ नमः शिवाय: यह मंत्र शिवजी का सबसे पवित्र मंत्र है. इसका जाप करने से मन शांत होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
  2. ॐ महादेवाय नमः: इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं.
  3. ॐ कार्तिकेय नमः: कार्तिकेय भगवान शिव के पुत्र हैं. इस मंत्र का जाप करने से कुंडली दोष दूर होते हैं और विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं.
  4. ॐ पार्वती नमः: माता पार्वती भगवान शिव की पत्नी हैं. इस मंत्र का जाप करने से सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है.
  5. ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ। इस मंत्र को मृत संजीवनी मंत्र कहा जाता है. यदि आप इस मंत्र का जाप करते हैं, तो भगवान शिव हमेशा आशिर्वाद बनाए रखते हैं. इसलिए प्रदोष व्रत के दिन महामृत्युंज मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए.

प्रदोष व्रत का महत्व

ज्योतिष शास्त के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के साथ दो गायों को दान करने के समान भक्तों को पुण्य फल की प्राप्ति होती है. साथ ही कर्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है और घर में खुशियों का आगमन होता है. इसके अलावा विवाह में आ रही रुकावटें खत्म होती है और विवाह के शुभ योग बनते हैं. प्रदोष व्रत की पूजा संध्याकाल में की जाती है. प्रदोष व्रत के अवसर पर रुद्राभिषेक करना बेहद शुभ माना जाता है. इससे घर में सुख-शांति का वास होता है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍


 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर ) 

 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone


Take care everyone 



Wednesday, October 16, 2024

Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा की रात आज, खुले आसमान में खीर रखने का क्या है शुभ समय?

 


Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा की रात आज, खुले आसमान में खीर रखने का क्या है शुभ समय?

Sharad Purnima Muhurat: अगर आप शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान में खीर रखकर अमृत का पान करना चाहते हैं तो शरद पूर्णिमा की रात शुभ समय में खीर रखें. ताकि चंद्रमा खीर में अच्छे से अमृत का संचार कर सके. चांदनी रात में खीर रखने का शुभ समय क्या है जानने के लिए पढ़ें ये लेख...


Sharad Purnima Ki Raat Kheer Rakhne Ka Mahatva: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से जगमगाता है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत वर्षा के समान होती हैं और खुले आसमान में रखी खीर में चंद्रमा का अमृत समा जाता है. इस खीर को ग्रहण करने से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु प्राप्त होती है. शरद पूर्णिमा की रात खीर रखने का सबसे शुभ समय चंद्रोदय के बाद होता है. चंद्रोदय का समय हर जगह अलग-अलग होता है. आप अपने क्षेत्र के अनुसार चंद्रोदय के बाद खुले आसमान में खीर रखें.

ऐसी मान्यता है कि चंद्रोदय के तुरंत बाद खीर को चांदनी में रखना शुभ माना जाता है. खीर को कम से कम 3 घंटे के लिए चांदनी में रखना चाहिए. शरद पूर्णिमा के दिन चांदनी रात में खीर बनाकर रखने की परंपरा कई सालों से चली आ रही है. ये भी माना जाता है कि खीर को चांदी के बर्तन में रखा जाए तो और भी शुभ माना जाता है.

खुले आसमान में खीर रखने का समय

पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा यानि की 16 अक्तूबर की शाम चांद निकलने का समय 5 बजकर 4 मिनट पर है. चांद की रोशनी में खीर रखने का मुहूर्त शाम 7.18 तक रहेगा, क्योंकि इस दौरान रवि योग रहेगा. अगर आप इस मुहूर्त में खीर नहीं रख पा रहे हैं तो, खीर 8 बजकर 40 मिनट से पहले चंद्रमा की रोशनी में रख दें और कम से कम 2 से 3 घंटे के लिए खीर खुले आसमान के नीचे रखी रहने दें. ताकि चंद्रमा की किरणें खीर में अच्छे से अमृत का संचार कर सकें.

ऐसे बनाएं खीर

  • खीर बनाने के लिए शुद्ध दूध, लॉकी, चावल और चीनी से आदि का उपयोग करें.
  • शरद पूर्णिमा की रात खीर को चांदी के बर्तन में रखें, क्योंकि चांदी का बर्तन शुद्ध माना जाता है और इसे चंद्रमा से जुड़ा माना जाता है.
  • खीर को किसी ऐसे स्थान पर रखें जहां चंद्रमा की चांदनी किरणें सीधे खीर पर पड़े.
  • खीर को रखते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद मम’ मंत्र का जाप करें.
  • जब खीर को रखें 2 या 3 घंटे हो जाएं तब खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और घर के लोगों को वितरित करें.

खीर खाने अच्छी रहती है सेहत

मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में अमृत का संचार करती हैं. इस खीर को खाने से लोगों का शरीर स्वस्थ रहता है और मन प्रसन्न रहता है. शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी का त्योहार भी माना जाता है. खीर को चंद्रमा के प्रकाश में रखने से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि करती हैं. जिससे लोगों की समस्याएं जल्द ही दूर होने लगती हैं. चंद्रमा की किरणें मन को शांत करती हैं और तनाव कम करती हैं. खीर खाने से लोगों को लंबी उम्र प्राप्त होती है.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर
(श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone

Zodiac Signs: शरद पूर्णिमा की रात 2 राशियों पर बरसेगी चंद्र देव की कृपा, खुल जाएंगे बंद किस्मत के ताले

 


Zodiac Signs: शरद पूर्णिमा की रात 2 राशियों पर बरसेगी चंद्र देव की कृपा, खुल जाएंगे बंद किस्मत के ताले

वर्तमान समय में मन के कारक चंद्र देव मीन राशि में विराजमान हैं। चंद्र देव 17 अक्टूबर को राशि परिवर्तन करेंगे। इस दिन चंद्र देव मेष राशि में गोचर करेंगे। भगवान शिव की पूजा करने से (Chandra Dev Favorite zodiac signs) कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है। चंद्र की कृपा पाने के लिए सफेद रंग की चीजों का दान करें।

HIGHLIGHTS

सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है।

इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।

भगवान शिव की पूजा करने से चंद्र देव की कृपा मिलती है।

सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस शुभ तिथि पर चंद्र देव की पूजा की जाती है। साथ ही रात्रि के समय विशेष उपासना की जाती है। इस समय चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। ज्योतिष मत है कि चंद्र देव की पूजा करने से साधक को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। साथ ही सभी प्रकार के शुभ कार्यों में सफलता मिलती है। ज्योतिषियों की मानें तो चंद्र देव (Chandra Dev Favorite zodiac signs) की विशेष कृपा 2 राशि के जातकों पर बरसती है। उनकी कृपा से हर कार्य में सफलता मिलती है। आइए, इन 2 राशियों के बारे में जानते हैं।  

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर
(श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone

Wednesday, October 9, 2024

Shardiya Navratri 2024 8th Day: नवरात्रि के आठवें दिन इस तरह करें माता महागौरी की पूजा… परेशानियां होंगी दूर, बरसेगा धन!


Shardiya Navratri 2024 8th Day: नवरात्रि के आठवें दिन इस तरह करें माता महागौरी की पूजा… परेशानियां होंगी दूर, बरसेगा धन!

Shardiya Navratri 2024 Eighth Day: नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा अर्चना की जाती है. कई घरों में अष्टमी के दिन पूजा-पाठ करने के बाद नवरात्रि का व्रत खोला जाता है और कन्या पूजन की परंपरा है. आइए जानते हैं कि अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा विधि, आरती और मंत्र जाप के बारे में.



Shardiya Navratri 2024 Date, Time And Puja Vidhi: हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दौरान भक्त मां दुर्गा के 9 रूपों की आराधना कर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि मां महागौरी की विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों के सारे बिगड़े काम बन जाते हैं साथ ही सभी प्रकार के रोगों से भी मुक्ति मिलती है.


मां महागौरी की पूजा का शुभ मुहूर्त (Maa Mahagauri Ki Puja Ka Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, मां महागौरी की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में पूजा करना शुभ रहेगा.


मां महागौरी की पूजा विधि (Maa Mahagauri Puja Vidhi)

मां दुर्गा के आठवें रूप मां महागौरी की पूजा करने के लिए सुबह स्नान कर सफेद रंग के वस्त्र धारण करें. उसके बाद पूजा स्थल की साफ सफाई कर मां महागौरी की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से साफ कर लें. मां महागौरी को सफेद रंग अतिप्रिय है और इसलिए पूजा में सफेद रंग के पुष्प भी अर्पित करना बहुत शुभ माना गया है. इसके बाद मां को रोली व कुमकुम का तिलक लगाएं, फिर मिष्ठान, पंच मेवा और फल अर्पित करें. अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा करते समय उन्हें काले चने का भोग लगाना चाहिए. अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन भी शुभ माना जाता है. इसके बाद आरती व मंत्रों का जाप करें.

मां महागौरी का प्रिय भोग और पुष्प (Maa Mahagauri Bhog And Flower)

मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को मोगरे का फूल बहुत प्रिय है. मान्यता है कि इस दिन मां के चरणों में इस फूल को अर्पित करना चाहिए. इसके साथ ही मां को नारियल की बर्फी और लड्डू अवश्य चढ़ाएं. क्योंकि मां का प्रिय भोग नारियल माना गया है.

मां महागौरी के मंत्र जाप (Maa Mahagauri Mantra)

मां महागौरी की स्तुति

  • मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

महागौरी का प्रार्थना मंत्र

  • श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

मां महागौरी का ध्यान मंत्र

  • वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
  • पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्। वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
  • पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्। मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
  • प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्। कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥

मां महगौरी का स्तोत्र मंत्र

  • सर्वसंकटहन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्। ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
  • सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्। डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
  • त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्। वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

मां महागौरी का कवच मंत्र

  • ॐकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजम् मां, हृदयो। क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
  • ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी मां नेत्रम् घ्राणो। कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मां सर्ववदनो॥ 
  • मां महागौरी की आरती (Maa Mahagauri Aarti)

    जय महागौरी जगत की माया।

    जय उमा भवानी जय महामाया॥

    हरिद्वार कनखल के पासा।

    महागौरी तेरा वहा निवास॥

    चन्द्रकली और ममता अम्बे।

    जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे॥

    भीमा देवी विमला माता।

    कौशिक देवी जग विख्यता॥

    हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।

    महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥

    सती (सत) हवन कुंड में था जलाया।

    उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥

    बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।

    तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥

    तभी मां ने महागौरी नाम पाया।

    शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥

    शनिवार को तेरी पूजा जो करता।

    मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥

    भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।

    महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥

    मां महागौरी की पूजा का महत्व (Maa Mahagauri Significance)

    मान्यता है कि मां महागौरी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. व्यक्ति के सभी रोग दोष दूर होते हैं. मां महागौरी की पूजा से दांपत्य जीवन, व्यापार, धन, और सुख-समृद्धि बढ़ती है. इसके अलावा मां महागौरी की पूजा करने से विवाह में आ रहीं सभी बाधाएं दूर होती हैं.

हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय🕉️ 🙏🕉️🙏🌍जय माता दी 🙏🕉️🙏

 प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर
(श्री शिव मन्दिर ) 
 महंत जी :- श्री पप्पू बाबा उर्फ़ श्री राज कुमार पाण्डेय कलेक्ट्रियट घाट पटना इण्डिया 

 Contact Me 9931401848/7274887378 Everyone

Take care everyone 



मां अन्नपूर्णा की कृपा के लिए करें ये काम, कभी खाली नहीं होंगे अन्न के भंडार

     हर महादेव 🕉️ नमः शिवाय 🕉️ 🙏🕉️🙏🌍  प्राचीन श्री गौरी शिव शंकर मनोकामना सिद्ध मंदिर (श्री शिव मन्दिर )   महंत जी :- श्री पप्पू बाबा ...